नवरात्रि में कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अभिष्ठ कार्य की सिद्धि होती है
ये हैं वो मंत्र जिससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्त की व्याधि, रोग, पीड़ा और दरिद्रता को नष्ट कर भक्त को उत्तम स्वास्थ्य और धन संपति का वरदान देती हैं।
चैत्र नवरात्र चल रहा हैं। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करने का विधान है। दुर्गा सप्तशती का पाठ तो कई लोग करते हैं, लेकिन इसके कुछ चमत्कारिक मंत्र शायद कुछ ही लोगों को पता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं दुर्गा सप्तशती में दिया गया दु:ख-दारिद्र नाश के लिए चमत्कारिक मंत्र।
कहा जाता है कि नवरात्रि में कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अभिष्ठ कार्य की सिद्धि होती है और पूजा का कई गुना फल मिलता है। ये हैं वो मंत्र जिसका नवरात्रि के नौ दिनों या किसी एक दिन उच्चारण करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्त की व्याधि, रोग, पीड़ा और दरिद्रता को नष्ट कर भक्त को उत्तम स्वास्थ्य और धन संपति का वरदान देती हैं। यदि आपके परिवार में दु:ख-दारिद्र का वास बना हुआ है तो इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के इस मंत्र का पाठ कर सकते हैं। सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके पूजन सामग्री के साथ पूजन स्थल पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें। सामने दुर्गा जी की मूर्ति या प्रतिमा रखें। फिर नीचे लिखे मंत्र से पूजन सामग्री और अपने शरीर पर जल छिड़कें।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:
इसके बाद पूजा के लिए संकल्प करें और फिर नीचे लिखे मंत्र का यथा शक्ति जप नवरात्र पूरे 9 दिन करें।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै:स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रायदु:खभयहारिणी का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सादर्द्रचित्ता।।
मंत्र का हिन्दी अर्थ: मां दुर्गे आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती है और स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिन्तन करने पर उनको परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती है। दुःख, दारिद्रता और भय हरने वाली हे देवी मां आपके सिवाय दूसरा कौन है जिसका चित्त, मन सभी का उपकार करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो। इस मंत्र का जप करने वाला अपने समस्त रोग, व्याधि, जरा, पीड़ा, दुःख, दरिद्रता से मुक्ति पा जाता है। इस मंत्र का सम्पुट लगाकर नौ चंडी का पाठ घर में नवरात्रि में कराने से सभी प्रकार के कष्टों से सरलता से मुक्ति हो जाती है। माता की अत्यन्त कृपा प्राप्त होती है।