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गणेश चतुर्थी 2018: नहीं देखते चंद्रमा को गणेश चतुर्थी पर?

क्यों नहीं देखते गणेश चतुर्थी को चंद्रमा आैर क्या है इसकी कहानी बता रहे हैं पंडित दीपक पांडे।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 03:16 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 03:16 PM (IST)
गणेश चतुर्थी 2018: नहीं देखते चंद्रमा को गणेश चतुर्थी पर?
गणेश चतुर्थी 2018: नहीं देखते चंद्रमा को गणेश चतुर्थी पर?

श्री कृष्ण तक नहीं बचे दुष्प्रभाव से

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एेसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात में चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए। इस बारे में मान्यता है कि एेसा करने पर चोरी या अन्य किसी प्रकार का लांछन लग सकता है। विनायक चतुर्थी की रात्रि में चंद्रमा को देखने के कारण द्वापर युग में श्री कृष्ण को भी कष्ट भोगना पड़ा आैर उन पर स्यमंतक मणि चोरी करने का लांछन लगा था। चोरी जैसे आरोप से पीड़ित कृष्ण जी ने जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों का कारण पूछा तब नारद जी ने उनसे कहा कि एेसा भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चांद देखने के कारण हुआ है। इस के साथ ही उन्होंने चतुर्थी के दिन चांद को देखने से कलंक लगने का रहस्य क्या है इसके बारे में स्पष्ट किया कि इस दिन गणेश जी ने चन्द्रमा को शाप दिया था, जिसके परिणाम स्वरूप ही ये स्थिति होती है। 

चंद्रमा के शाप की कथा

गणेश चतुर्थी पर निषेध क्यों और कब से आरंभ हुआ इस संबंध में प्रचलित कथा इस प्रकार है। बताते हैं कि चन्द्रमा को अपनी सुंदरता पर बहुत अभिमान था। एक दिन गणेश जी के गजमुख, आैर लम्बोदर रूप को देखकर चन्द्रमा ने उनकी हंसी उड़ाने लगा। इस पर गणेश जी कुपित हो गये और शाप दे दिया। जिसके अनुसार जो भी उसे देखेगा उसे झूठा कलंक लगेगा आैर वो कलाओं से रहित एवं अनादरणीय हो जाएगा। उस दिन भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी। इस शाप के बाद चंद्रमा दीन-हीन एवं का अदर्शनीय हो गया। अपनी इस अवस्था के चलते शर्म से चंद्रमा छुप कर बैठ गए। चंद्रमा के छुप जाने के कारण परेशान देवताआें ने उन्हें समझाया आैर कहा कि वे गणेश जी से क्षमा मांगे। इंद्र आदि देवों ने भी भगवान गणेश से प्रार्थना की और चंद्रमा ने भी उनको प्रसन्न करने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की। देवताओं की प्रार्थना और चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर गणपति ने चंद्रमा को उनकी कलाओं से युक्त कर दिया और केवल 1 दिन के लिए ही उसे अनादरणीय अर्थात दर्शना किए जाने के अयोग्य रहने दिया। वह दिन था भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी ताकि चंद्रमा को अपने अपराध की याद रहे आैर संसार भी याद रखे कि किसी के रूप को देख कर उसका अपमान करना अत्यंत निंदनीय है। चंद्रमा की तपस्या एवं भक्ति देखकर शिव शंकर ने उसे अपने मस्तक पर धारण  किया आैर श्री गणेश ने वर दिया की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को जो गणेश भक्त चंद्रमा का दर्शन करके व्रत खोलेगा उसे अभीष्ट फल की प्राप्ति होगी।


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