Makar Sankranti 2021: आखिर क्यों चढ़ाई जाती है मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी? पढ़ें यह पौराणिक कथा
Makar Sankranti 2021 आज मकर संक्रांति है और आज के दिन को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। त्रेता युग से चली आ रही एक परंपरा के अनुसार इस दिन गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ मंदिर में आदियोगी गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है।
Makar Sankranti 2021: आज मकर संक्रांति है और आज के दिन को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। त्रेता युग से चली आ रही एक परंपरा के अनुसार, इस दिन गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ मंदिर में आदियोगी गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है। इस दिन मंदिर के महंत सर्वप्रथम बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं। इसके बाद नेपाल राजघराने की खिचड़ी चढ़ाई जाती है। बाबा गोरखनाथ को मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी क्यों चढ़ाई जाती है इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं।
क्यों चढ़ाई जाती है बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार गुरु गोरखनाथ भिक्षाटन कर रहे थे। भिक्षाटन करते करते वो हिमाचल प्रदेश के एक जिला कागड़ा जा पहुंचे। यहां वो मशहूर ज्वाला देवी मंदिर में चले गए। यहां पर गोरखनाख ने अपनी भक्ति से मां को प्रसन्न किया। मां ने गोरखनाथ से प्रसन्न होकर उन्हें भोजन के लिए निमंत्रण दिया। यहां पर उनके लिए कई तरह के भोजन परोसे गए। लेकिन उन्होंने खाना ग्रहण करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें भिक्षा में प्राप्त चावल-दाल से बना भोजन ही ग्रहण करना है।
बाबा गोरखनाथ ने देवी से कहा कि उनका भोजन बनाने के लिए पानी गर्म करें। यह कहकर वो भिक्षाटन के लिए निकल गए। फिर वो भिक्षा मांगते हुए गोरखपुर के पास राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर पहुंच गए। यहां उन्होंने अपना अक्षय पात्र रख दिया। इसके बाद वो साधन में लीन हो गए। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आया। लोगों ने बाबा के पात्र में चावल और दाल रख दी। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि वो पात्र भरता नहीं था। हर किसी ने उसे चमत्कार माना और उनकी पूजा शुरू कर दी। तब से गोरखनाथ वहीं के होकर रह गए। गोरखपुर का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा। इसके बाद से ही हर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। कहा जाता है कि आज भी ज्वाला देवी बाबा गोरखनाथ का इंतजार कर रही हैं और उनके इंतजार में भोजन के लिए पानी खौल रहा है।
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