Move to Jagran APP

Makar Sankranti 2021: आखिर क्यों चढ़ाई जाती है मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी? पढ़ें यह पौराणिक कथा

Makar Sankranti 2021 आज मकर संक्रांति है और आज के दिन को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। त्रेता युग से चली आ रही एक परंपरा के अनुसार इस दिन गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ मंदिर में आदियोगी गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 11:50 AM (IST)
Makar Sankranti 2021: आखिर क्यों चढ़ाई जाती है मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी? पढ़ें यह पौराणिक कथा
Makar Sankranti 2021: आखिर क्यों चढ़ाई जाती है मकर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी? पढ़ें यह पौराणिक कथा

Makar Sankranti 2021: आज मकर संक्रांति है और आज के दिन को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। त्रेता युग से चली आ रही एक परंपरा के अनुसार, इस दिन गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ मंदिर में आदियोगी गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है। इस दिन मंदिर के महंत सर्वप्रथम बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं। इसके बाद नेपाल राजघराने की खिचड़ी चढ़ाई जाती है। बाबा गोरखनाथ को मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी क्यों चढ़ाई जाती है इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं।

loksabha election banner

क्यों चढ़ाई जाती है बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी:

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार गुरु गोरखनाथ भिक्षाटन कर रहे थे। भिक्षाटन करते करते वो हिमाचल प्रदेश के एक जिला कागड़ा जा पहुंचे। यहां वो मशहूर ज्वाला देवी मंदिर में चले गए। यहां पर गोरखनाख ने अपनी भक्ति से मां को प्रसन्न किया। मां ने गोरखनाथ से प्रसन्न होकर उन्हें भोजन के लिए निमंत्रण दिया। यहां पर उनके लिए कई तरह के भोजन परोसे गए। लेकिन उन्होंने खाना ग्रहण करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें भिक्षा में प्राप्त चावल-दाल से बना भोजन ही ग्रहण करना है।

बाबा गोरखनाथ ने देवी से कहा कि उनका भोजन बनाने के लिए पानी गर्म करें। यह कहकर वो भिक्षाटन के लिए निकल गए। फिर वो भिक्षा मांगते हुए गोरखपुर के पास राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर पहुंच गए। यहां उन्होंने अपना अक्षय पात्र रख दिया। इसके बाद वो साधन में लीन हो गए। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आया। लोगों ने बाबा के पात्र में चावल और दाल रख दी। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि वो पात्र भरता नहीं था। हर किसी ने उसे चमत्कार माना और उनकी पूजा शुरू कर दी। तब से गोरखनाथ वहीं के होकर रह गए। गोरखपुर का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा। इसके बाद से ही हर संक्रांति पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। कहा जाता है कि आज भी ज्वाला देवी बाबा गोरखनाथ का इंतजार कर रही हैं और उनके इंतजार में भोजन के लिए पानी खौल रहा है।

डिस्क्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.