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कब है रमजान 2019 जो बताता है जिंदगी की साधारण नेमतों की कीमत

इस बार 5 मई 2019 से मुस्लिम समुदाय का पवित्र महीना रमजान आरंभ हो रहा है। विद्घानों का मानना है कि आपको रोजमर्रा की आम बातों को खास तरीके से समझाता है ये महीना।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 01 May 2019 01:37 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 01:37 PM (IST)
कब है रमजान 2019 जो बताता है जिंदगी की साधारण नेमतों की कीमत
कब है रमजान 2019 जो बताता है जिंदगी की साधारण नेमतों की कीमत

आध्‍यात्‍मिकता की ओर सफर

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रविवार, 5 मई 2019 से रमज़ान या रमादान का महीना शुरू हो रहा है, ये इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना होता है। इस्लामिक विषयों के जानकार रामिश सिद्दीकी के अनुसार रोज़ा इस्लाम की सबसे उत्कृष्ट इबादत मानी गई है, जिसका पालन प्रत्येक मुसलमान को रमज़ान के पूरे महीने करना होता है। रोज़े में व्यक्ति सूर्योदय से सूर्यास्त तक स्वयं को भोजन-पानी के सेवन से दूर रख ईश्वर से जुड़ने का प्रयास करता है। रमज़ान का सबसे बड़ा लक्ष्य व्यक्ति को भौतिकवाद से निकाल आध्यात्मिकता के पथ पर अग्रसर करना है, ताकि वह इस दुनिया में एक सात्विक जीवन गुज़ार पाए। 

ईश्‍वर की देन की कृपा का आभार 

रमज़ान में एक व्यक्ति अपना ज्यादा से ज्यादा समय ख़ुदा की इबादत में लगाता है। रोज़ा इंसान के अंदर कृतज्ञता का भाव बढ़ाता है। थोड़े समय के लिए जब वह अपना खाना- पीना छोड़ देता है, तो उसे यह एहसास होता है कि यह जीवन ख़ुदा की देन है। सूर्यास्त के समय जब वह भोजन-पानी ग्रहण करता है, तब वह यह समझ पाता है कि कैसे ईश्वर सदियों से निरंतर इंसान को सब कुछ प्रदान करते चले आ रहे हैं। यह भाव उसमें ईश्वर के प्रति कई गुना आभार पैदा करता है। 

जीवन का महत्‍व समझाता है

रमज़ान इंसान को नैतिकता के साथ जीना सिखाता है। जीवन की बुनियादी चीज़ों से दूर रह कर रोज़ा आत्मसंयम और सहनशीलता का पाठ सिखाता है। जैसे तेज़ भागती गाड़ी को एक गति अवरोधक चालक को क़ाबू करने का संकेत देता है, उसी प्रकार रमज़ान व्यक्ति के जीवन में काम करता है। रमज़ान का एक महीना व्यक्ति को पूरे साल का प्रशिक्षण देने के लिए आता है। वह जीवन के पथ पर बेक़ाबू भागने के लिए नहीं आया है, बल्कि जीवन की महत्ता को समझने के लिए भेजा गया है। रोज़ा व्यक्ति की इबादत की क्षमता को ही बढ़ाने का दूसरा नाम है। रमज़ान में रोज़ेदार ख़ुदा का ज्यादा से ज्यादा स्मरण करने की कोशिश करता है और अपने से यह वादा करता है कि वह अपने जीवन को आध्यात्मिक बनाएगा। साथ ही, वह समाज का एक लेने वाला सदस्य न बनकर देने वाला सदस्य बनेगा।

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