Motivational Story: सिर्फ एक पेंच घुमाने के लिए मांगा 10 हजार रुपये फीस? ऐसा क्यों, पढ़ें यह कथा
Motivational Story आप किसी की दक्षता तथा उसके ज्ञान की महत्ता तब समझते हैं जब आप किसी बड़ी समस्या से जूझते हैं और दूसरा व्यक्ति उसे मिनटों में हल कर देता है। उसकी योग्यता में ही आपकी समस्या का निदान छिपा होता है।
Motivational Story: आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या काम है, जिसके लिए एक विशेषज्ञ ने 10 हजार रुपये की फीस मांग दी। आज हम आपको इससे जुड़ी ही एक कथा के बारे में बता रहे हैं, जो आपको जीवन का बड़ा सीख देगी। आप किसी की दक्षता तथा उसके ज्ञान की महत्ता तब समझते हैं, जब आप किसी बड़ी समस्या से जूझते हैं और दूसरा व्यक्ति उसे मिनटों में हल कर देता है। उसकी योग्यता में ही आपकी समस्या का निदान छिपा होता है। आइए पढ़ें यह प्रेरक कथा के बारे में।
एक समय की बात है, एक उद्योगपति का बहुत बड़ा कारोबार था, जो देश के कई हिस्सों में फैला हुआ था। उसके उत्पादों की बड़ी ही मांग थी। उसकी फैक्ट्री में बड़ी-बड़ी मशीनें थीं। रोज करोड़ों का कारोबार होता था। एक बार एक बड़ी मशीन में कोई खराबी आ गई। कंपनी का कोई भी इंजीनियर उसे ठीक नहीं कर पा रहा था। आसपास के भी कारीगर थक हार गए, लेकिन वे मशीन को ठीक नहीं कर पाए। मशीन के ठप्प होने से काम काज प्रभावित हो गया। कारोबार में नुकसान होने लगा। उत्पाद समय पर बनकर तैयार नहीं हो पा रहे थे।
काम ठप पड़ा था, इसलिए उद्योगपति भी परेशान था। उसने अपने कर्मचारियों से कहा, किसी को भी बुलाओ, लेकिन मशीन ठीक होनी चाहिए..। उसके कर्मचारियों ने काफी खोजबीन के बाद एक मशीन विशेषज्ञ को खोज निकाला। आखिरकार बाहर से उस विशेषज्ञ को बुलाया गया। उसने काफी देर तक उस खराब मशीन को देखा। फिर उसने अपने बैग से एक पेचकस निकाला और मशीन के भीतर के एक पेच को थोड़ा-सा घुमा दिया। मशीन चल पड़ी। इससे वहां खड़े कर्मचारियों तथा उद्योगपति के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।
उद्योगपति ने पूछा कि उसके कार्य का शुल्क कितना हुआ। तब उस विशेषज्ञ ने कहा कि इस मशीन को ठीक करने की फीस 10 हजार रुपये है। इतना सुनकर उद्योगपति चौंक गया। उसने आश्चर्य से कहा कि सिर्फ एक पेच घुमाने के 10 हजार रुपये? यह तो काफी महंगा है, साथ ही अनुचित भी है। दो मिनट के काम के लिए 10 हजार रुपये की फीस क्यों दी जाए? इस पर विशेषज्ञ ने विनम्रता से कहा कि पेच घुमाने के तो सिर्फ एक रुपये हुए, बाकी के 9999 रुपये इस बात के हैं कि कौन-सा पेच किस दिशा में घुमाना है।
कथा-मर्म : काम करना और दक्षता से करना अलग-अलग बातें हैं। मूल्य दक्षता का अधिक होता है, काम का नहीं।