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Govardhan Puja 2018: क्या है गोर्वधन पूजा का अर्थ

क्या आप जानते हैं कि गोर्वधन पूजा की कहानी में क्या अर्थ छुपा है आैर उसका महत्व क्या है।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 01:58 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 01:58 PM (IST)
Govardhan Puja 2018: क्या है गोर्वधन पूजा का अर्थ
Govardhan Puja 2018: क्या है गोर्वधन पूजा का अर्थ

लोकजीवन में है महत्व 

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दीपावली की अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। ये त्यौहार अन्नकूट के नाम से भी प्रसिद्घ है। गोर्वधन पूजा का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है, क्योंकि पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व से जुड़ी मान्यता और लोककथा भ्ज्ञी इसी आेर इंगित करती है। विशेष रूप से जब गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों आैर खाद्य वस्तुआें की पूजा की जाती है। 

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पूज्य है गाय

शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि गाय उतनी ही पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की पूजा होती है।

अन्नकूट के रूप में मनाने का कारण 

जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकायें उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तब इस उत्सव में छप्पन भोग बनाने की परंपरा प्रारंभ हुर्इ। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।


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