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Malmas 2020: क्या होता है मलमास? भगवान राम के नाम पर क्यों पड़ इसका नाम पुरुषोत्तम मास

Malmas 2020 मलमास को कुछ जगह पुरुषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है। इसे अधिकमास भी कहते हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 10:04 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 06:49 AM (IST)
Malmas 2020: क्या होता है मलमास? भगवान राम के नाम पर क्यों पड़ इसका नाम पुरुषोत्तम मास
Malmas 2020: क्या होता है मलमास? भगवान राम के नाम पर क्यों पड़ इसका नाम पुरुषोत्तम मास

Malmas 2020: सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है। दोनों सालों के बीच करीब 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन साल में करीब एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है। इसके अतिरिक्त होने की वजह से मलमास या अधिकमास का नाम दिया गया है। मलमास को कुछ जगह पुरुषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है।

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भगवान राम के नाम पर पड़ा पुरुषोत्तम मास

धार्मिक मान्यता है कि अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान विष्णु हैं और पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है, इसलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। पुराणों में इस मास को लेकर कई धार्मिक रोचक कथाएं भी दी गई हैं।

दिखाई देगा कोरोना का असर

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि दान, पुण्य, पूजा-पाठ व श्रीमद्भागवत कथा के लिए मास पुरुषोत्तम पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भक्ति की गंगा बहती है। देशभर में श्रीमद्भागवत कथा प्रसंगों की गूंज सुनाई देती है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण कथा प्रसंगों की गूंज सुनाई देगी, ऐसी संभावना कम ही लग रही है। वहीं कुछ लोग तीर्थ यात्रा भी करते हैं, उनकी यात्रा में कोरोना संक्रमण बाधा बन सकता है। यह महीना भगवान विष्णु जी की भक्ति, आराधना के लिए जाना जाता है। भगवान विष्णु जी की भक्ति, उपासना और श्रीमद्भभागवत कथा सुनने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मलमास होने के कारण कोई इस मास का स्वामी होना नहीं चाहता था, तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्धार के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी ने उन्हें अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम प्रदान किया। साथ ही यह आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि करेगा, वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा। इसलिए यह माह दान-पुण्य अक्षय फल देने वाला माना जाएगा।

अधिकमास में ये संस्कार किए जा सकते हैं

यूं तो अधिकमास में कई संस्कार का आयोजन वर्जित होता है, लेकिन कुछ ऐसे संस्कार है जिनको मलमास के दौरान भी संपन्न कराया जा सकता है। कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि संतान जन्म के कृत्य जैसे गर्भाधान, पुंसवन, सीमंत आदि संस्कार किए जा सकते हैं। इसके अलावा यदि किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत की जा चुकी है और मलमास आ जाता है तो भी उस मांगलिक कार्य को पूरा किया जा सकता है। इस दौरान विवाह नहीं हो सकता है लेकिन युवक-युवतियों के रिश्ते देखे जा सकते हैं।


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