Vivah Yog: इन जातकों की शादी हो जाती है शीघ्र, मिलता है मनचाहा वर
कुंडली में बारह भाव होते हैं। इनमें सप्तम भाव को विवाह भाव कहा जाता है। इस भाव को जीवनसाथी का भाव भी कहा जाता है। इस भाव में शुभ और अशुभ ग्रहों के अनुसार जातक की शादी के योग बनते हैं। शुभ ग्रहों के रहने पर शीघ्र शादी के योग बनते हैं। वहीं अशुभ ग्रहों के रहने पर शादी में देर होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vivah Yog: ज्योतिष कुंडली देखकर व्यक्ति की भविष्यवाणी करते हैं। इससे व्यक्ति के रोजगार, कारोबार, प्यार, विवाह आदि की जानकारी मिल जाती है। कुंडली में बारह भाव होते हैं। इनमें सप्तम भाव को विवाह भाव कहा जाता है। इस भाव को जीवनसाथी का भाव भी कहा जाता है। इस भाव में शुभ और अशुभ ग्रहों के अनुसार जातक की शादी के योग बनते हैं। शुभ ग्रहों के रहने पर शीघ्र शादी के योग बनते हैं। वहीं, अशुभ ग्रहों के रहने पर शादी में देर होती है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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बुध ग्रह
ज्योतिषियों की मानें तो विवाह भाव में बुध के रहने पर शादी के योग शीघ्र बनते हैं। हालांकि, बुध के साथ कोई अशुभ ग्रह उपस्थित न रहे।
गुरु ग्रह
देवताओं के गुरु बृहस्पति लड़कियों के विवाह के कारक माने जाते हैं। विवाह भाव में गुरु के रहने पर शीघ्र शादी के योग बनते हैं। हालांकि, गुरु के साथ किसी पापी ग्रह की युति न बनें।
चंद्र ग्रह
विवाह भाव में चंद्रमा के रहने पर शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही जातक को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। जातक का जीवनसाथी शांत, सुशील और धार्मिक प्रवृत्ति का होता है।
शुक्र ग्रह
लड़कों के विवाह के कारक शुक्र देव माने जाते हैं। कुंडली के विवाह भाव में शुक्र के रहने पर जातक की शादी यथाशीघ्र हो जाती है। साथ ही मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। हालांकि, शुक्र के साथ कोई पापी ग्रह न रहें।
अशुभ ग्रह
मंगल, राहु, केतु और सूर्य-शनि के रहने पर शादी में बहुत देर होती है। कई बार जातक को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। वहीं, कालसर्प दोष, मंगल दोष, गुरु चांडाल दोष, पितृ दोष आदि लगने पर जातक की शादी निवारण के बाद ही होती है।
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