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Varuthini Ekadashi 2024: रोग-दोष से मिलेगी मुक्ति, दूर होगी आर्थिक तंगी, वरुथिनी एकादशी पर करें तुलसी के ये उपाय

वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन का भक्तों के बीच बहुत महत्व है। वरूथिनी एकादशी को वैशाख एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग कठिन उपवास करते हैं। वरुथिनी का अर्थ है सुरक्षा। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस उपवास को रखते हैं उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Thu, 25 Apr 2024 11:24 AM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2024 12:13 PM (IST)
Varuthini Ekadashi 2024: एकादशी तिथि पर तुलसी से करें ये उपाय

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। वैशाख मास में पड़ने वाली एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है, जो भक्त इस कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख-शांति का वरदान मिलता है। इसके अलावा देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

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इस साल यह एकादशी 4 मई, 2024 दिन शनिवार को मनाई जाएगी। वहीं, अगर इस शुभ तिथि पर तुलसी के कुछ उपाय कर लिए जाए, तो बहुत सारे कष्टों से छुटकारा मिलता है, आइए जानते हैं -

एकादशी तिथि पर तुलसी से करें यह काम

एकादशी के दिन अगर आप भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं, तो उनकी पूजा और भोग में तुलसी दल का उपयोग जरूर करें। कहा जाता है कि इससे श्री हरि उस भोग को तुरंत स्वीकार करते हैं। साथ ही जीवन की सभी मुश्किलों से छुटकारा मिलता है। हालांकि इस दिन तुलसी पत्र नहीं तोड़ना चाहिए, इसलिए एक दिन पहले तुलसी पत्र तोड़कर रख लें।

एकादशी पर करें मां तुलसी की पूजा

वरुथिनी एकादशी पर प्रात: उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें। इसके बाद तुलसी पर जल चढ़ाएं। उसके समक्ष घी का दीया जलाएं। फिर फूल, मिठाई और फल आदि चीजें अर्पित करें। देवी के वैदिक मंत्रों का जाप करें। अंत में भाव के साथ आरती करें। इस उपाय को करने घर की आर्थिक तंगी दूर होती है।

एकादशी के दिन घर में करें तुलसी जल का छिड़काव

वरुथिनी एकादशी पर गंगाजल में तुलसी दल डाल लें। इसके बाद उसे भगवान विष्णु को अर्पित कर दें। फिर उस जल को पूरे घर पर छिड़कें। इस उपाय को करने से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा रोग-दोष से मुक्ति मिलती है।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।


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