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Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर दुर्लभ सौभाग्य योग समेत बन रहे हैं ये 4 मंगलकारी संयोग

सनातन धर्म में अमावस्या एवं पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण भी किया जाता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि पितरों का तर्पण करने से जातक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Fri, 26 Apr 2024 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2024 09:00 AM (IST)
Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर दुर्लभ सौभाग्य योग समेत बन रहे हैं ये 4 मंगलकारी संयोग

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Amavasya 2024: हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन अमावस्या पड़ती है। वैशाख माह में अमावस्या 08 मई को है। सनातन धर्म में अमावस्या एवं पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण भी किया जाता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि पितरों का तर्पण करने से जातक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों के आशीर्वाद से जातक को जीवन में सभी प्रकार की खुशियां प्राप्त होती हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से तीन पीढ़ी के पितरों का तर्पण करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख अमावस्या पर दुर्लभ सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-  

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शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या 07 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 08 मई को सुबह 08 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 08 मई को स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं।

शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख अमावस्या पर सर्वप्रथम सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन शाम 05 बजकर 41 मिनट तक है। इसके बाद शोभन योग का संयोग बन रहा है। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 33 मिनट से हो रहा है। इस समय में स्नान-ध्यान करने से साधक को पुण्यकारी लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही वैशाख पूर्णिमा पर शिववास का भी योग (सुबह 08 बजकर 51 मिनट से) बन रहा है। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं। साथ ही कालसर्प दोष का निवारण कर सकते हैं।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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