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Utpanna Ekadashi 2020: कल है उत्पन्ना एकादशी, जानें इस एकादशी का इतिहास और महत्व

Utpanna Ekadashi 2020 कार्तिक पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी गुरुवार 10 दिसंबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इस एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा होता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 11:05 AM (IST)
Utpanna Ekadashi 2020: कल है उत्पन्ना एकादशी, जानें इस एकादशी का इतिहास और महत्व
Utpanna Ekadashi 2020: कल है उत्पन्ना एकादशी, जानें इस एकादशी का इतिहास और महत्व

Utpanna Ekadashi 2020: कार्तिक पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी गुरुवार, 10 दिसंबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इस एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा होता है। मान्यता है कि यह एकादशी उत्पत्ति का प्रतीक है और अहम एकादशियों में से एक है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का महत्व और इतिहास।

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उत्पन्ना एकादशी व्रत महत्व:

उत्पन्ना एकादशी महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक है। यह एकादशी व्रत उत्पत्ति का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुसार, देवी एकादशी का जन्म भगवान विष्णु के रूप में उत्पन्ना एकादशी के दिन हुआ था। देवी एकादशी ने दानव मुर को मारने के लिए अवतरण लिया था। देवी एकादशी को भगवान विष्णु के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं उन्हें देवी एकादशी और विष्णु जी की विशेष कृपा मिलती है।

उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा:

सतयुग की बात है। इस युग में एक राक्षस था जिसका नाम मुर था। यह बेहद शक्तिशाली था। अपनी शक्ति से मुर ने स्वर्ग पर अपना आधिपत्य हासिल कर लिया था। इंद्रदेव इस बात से बहुत परेशान थे। उन्होंने इस संदर्भ में विष्णुजी से मदद मांगी और विष्णु जी ने मुर दैत्य के साथ युद्ध शुरू किया। कई वर्षों तक यह युद्ध चला। लेकिन अंत में विष्णु जी को नींद आने लगी तो वे बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले गए।

मुर राक्षस, विष्णु जी के पीछे-पीछे पहुंच गया। वो विष्णु जी को मारने के लिए आगे बढ़ ही रहा था कि विष्णु जी के अंदर से एक कन्या निकली। इस कन्या ने मुर से युद्ध किया और इसका वध कर दिया। इस कन्या ने मुर का सिर धड़ से अलग कर दिया। यह कन्या और कोई नहीं देवी एकादशी थी। इसके बाद विष्णु जी की नींद टूटी और वो अचंभित रह गए। विष्णु जी को कन्या से विस्तार से पूरी घटना बताई। सब जानने के बाद विष्णु ने कन्या को वरदान मांगने को कहा।

देवी एकादशी ने विष्मु जी से वरदान मांगा। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति उनका व्रत करे उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। साथ ही उस व्यक्ति को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी। विष्णु भगवान ने उस कन्या को एकादशी का नाम दिया।  


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