आज है हिंदू साम्राज्य दिवस, जानें पतन और उदय की वीरगाथा
र्षवर्धन प्रारंभ में शिव भक्त थे लेकिन जीवन के अंतिम समय में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। आधुनिक भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दू सम्राज्य को पुनः स्थापित किया।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आज हिंदू साम्राज्य दिवस है। यह हर साल शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इसे सबसे पहले आरएसएस की स्थापना के बाद मनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को हिन्दू साम्राज्य, संस्कृति, सभ्यता और सौहार्द के प्रति जागरूक करना है। इसके बारे में आरएसएस का मत है कि जिस दिन महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ, उस दिन से हिंदू साम्राज्य की पुनर्स्थापना हुई है। हालांकि, इस साल कोरोना वायरस के चलते आरएसएस द्वारा सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम नहीं आयोजित किया गया है।
हिन्दू सम्राज्य का पतन और उदय
इतिहास के अनुसार, मध्यकालीन भारत के 6 शताब्दी में गुप्त वंश के पतन के बाद पुष्यभूति वंश का उदय हुआ, जिसके संस्थापक पुष्यभूति थे। इनके वंश में अनेकों वीर योद्धा पैदा हुए, जिन्होंने पुष्यभूति वंश के विजयी पताका को उत्तर से दक्षिण तक फहराया। इस वंश के अंतिम शासक हर्षवर्धन थे। जिन्हें अंतिम हिन्दू सम्राट बताया गया है। इनकी मृत्यु के पश्चात हिन्दू साम्राज्य का पतन हो गया। इनका शासन स्थान वर्तमान में थानेश्वर है, जिसे कालांतर में थानेसर कहा जाता था। हर्षवर्धन प्रारंभ में शिव भक्त थे, लेकिन जीवन के अंतिम समय में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। आधुनिक भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज का उदय हुआ। इन्होंने हिन्दू सम्राज्य को पुनः स्थापित किया।
शिवाजी का राज्याभिषेक
सन 1674 में ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था। इस दिन से न केवल मराठों का उदय हुआ, बल्कि समस्त हिन्दू सम्राज्य का उदय हुआ। इनके पूर्वजों ने भी हिन्दू धर्म को जीवित रखने के लिए अपनी आहुतियां दी है। आज भी इनकी वीरता की गाथा सुनाई जाती है। ऐसे में जब 1925 में आरएसएस की स्थापना हुई तो आरएसएस ने विजयी पताका भगवा को चुना। जबकि शिवाजी के राज्याभिषेक दिन हिन्दू सम्राज्य दिवस मनाने की घोषणा की।