Move to Jagran APP

Surya Grahan 2020: 14 दिसंबर को लग रहा है वर्ष 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण, पढ़ें पौराणिक कथा

Surya Grahan 2020 इस वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर 2020 को लग रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में आते हैं और सूर्य को चांद ढक लेता है। इससे सूर्य की रोशनी कम पड़ जाती है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 11:23 AM (IST)
Surya Grahan 2020: 14 दिसंबर को लग रहा है वर्ष 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण, पढ़ें पौराणिक कथा
Surya Grahan 2020: जानें कब लग रहा है वर्ष 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण, पढ़ें पौराणिक कथा

Surya Grahan 2020: इस वर्ष का आखिरी चंद्र ग्रहण 14 दिसंबर 2020 को लग रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में आते हैं और सूर्य को चांद ढक लेता है। इससे सूर्य की रोशनी कम पड़ जाती है और धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगता है। ऐसे में वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण के समय पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा नजर आएगा। इसके चलते सूर्य आधार ढक जाएगा। सूर्य ग्रहण के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है जिसकी जानकारी हम आपको दे रहे हैं। लेकिन इससे पहले जानते हैं सूर्य का ग्रहण लगने का समय-

loksabha election banner

सूर्य ग्रहण का समय:

सूर्य ग्रहण शाम 07 बजकर 04 से शुरू होगा। यह 15 दिसंबर को रात्रि 12 बजकर 23 पर समाप्त होगा। बताया जा रहा है कि सूर्य ग्रहण भारत समेत सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में दिखाई देगा।

सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा:

मत्स्यपुराण की कथानुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो राहु नाम के दैत्य ने देवताओं से छिपकर उसे पी लिया था। यह होते हुए सूर्य और चंद्रमा दोनों ने देख लिया था। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी। यह सुन विष्णु जी को बहुत क्रोध आ गया। उन्होंने राहु के इस अन्यायपूर्ण कृत के चलते उसे मृत्युदंड देने के लिए उस पर सुदर्शन चक्र से वार किया। ऐसा करने पर राहु का सिर उसके धड़ से अलग हो गया। लेकिन उसने अमृतपान किया हुआ था जिसके चलते उसकी मृत्यु नहीं हुई। वहीं, राहु ने सूर्य और चंद्रमा से प्रतिशोध लेने के लिए दोनों पर ग्रहण लगा दिया। इसे ही आज सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.