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इस मंदिर को जयंती पीठ और मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहा जाता है

माना जाता है कि ग्रहण में सभी ग्रह इनके अधीन होते हैं। इसलिए दुनिया भर के मंदिर ग्रहण के वक्त बंद होते हैं, जबकि कालका मंदिर खुला होता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 11:14 AM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 02:15 PM (IST)
इस मंदिर को जयंती पीठ और मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहा जाता है
इस मंदिर को जयंती पीठ और मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहा जाता है

दिल्ली। कालकाजी मंदिर के नाम से विख्यात 'कालिका मंदिर' देश के प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक है। माँ के भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। कालका काली का ही दुसरा नाम है | इस मंदिर को जयंती पीठ और मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहा जाता है | नाम के अनुसार भक्तो की यहा मनोकामनाये पूर्ण होती है | इस पीठ का अस्तित्व अनादि काल से माना गया है। और हर काल में इस जगह का स्वरुप बदला है | यह मंदिर माँ काली को समर्प्रित है जो असुरों के संहार के लिए अवतरित हुई थी | तब से यह मनोकामना सिद्धपीठ के रूप में विख्यात है। मौजूदा मंदिर उनके परम भक्त बाबा बालक नाथ ने स्थापित किया।

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माँ काली का प्रकट होना :

एक बार स्वर्ग के देवता असुरो द्वारा सताये जाने पर भगवती की पूजा अर्चना की | देवताओ की पूजा से खुश होकर माँ ने कौशिकी देवी को अवतरित किया जिन्होंने अनेको असुरों का संहार किया लेकिन रक्तबीज नाम के असुर से पार नहीं पा सकी | तब माँ जगदम्बे ने अपनी भृकुटी से महाकाली को प्रकट किया जिन्होंने रक्तबीज को ख़त्म किया | महाभारत काल में युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ यही विजय प्राप्ति के लिए कालका माँ से विनती की थी | बाद में बाबा बालकनाथ ने इस पर्वत पर तपस्या की। तब माता भगवती से उनका साक्षात्कार हुआ।

 इस मंदिर के मुख्य 12 द्वार हैं, जो 12 महीनों का संकेत देते हैं। हर द्वार के पास माता के अलग-अलग रूपों का भक्तिमय चित्रण किया गया है। मंदिर के परिक्रमा में 36 मातृकाओं (हिन्दी वर्णमाला के अक्षर) के द्योतक हैं। माना जाता है कि ग्रहण में सभी ग्रह इनके अधीन होते हैं। इसलिए दुनिया भर के मंदिर ग्रहण के वक्त बंद होते हैं, जबकि कालका मंदिर खुला होता है।

नवरात्र में माँ का अपने भक्तो के बीच आगमन :

9 दिनों के नवरात्रो में । मान्यता है कि अष्टमी व नवमी को माता मेला में घूमती हैं। इसलिए अष्टमी के दिन सुबह की आरती के बाद कपाट खोल दिया जाता है। दो दिन आरती नहीं होती। दसवीं को आरती होती है। कैसे जाएं मंदिर तक माता के दर्शन करने के लिए मेट्रो से कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन उतरकर लोग आसानी से पहुंच सकते हैं। जो बदरपुर मेट्रो लाइन पर स्थित है।

 प्राचीन सिद्धपीठ कालकाजी मंदिर में नवरात्र को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं। मंदिर के पीठाधीश्वरमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि पूरे नवरात्र के दौरान मां कालका की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। पूरे नवरात्र के दौरान राष्ट्र कल्याण के लिए पाठ करने के साथ ही प्रतिदिन रात्रि जागरण होगा।

उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए पूरे मंदिर परिसर के अलावा आसपास के इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए

हैं। दिल्ली पुलिस के साथ-साथ पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों के सहयोग के लिए सिक्योरिटी गार्ड, वालेंटियर्स फोर्स भी तैनात किए गए हैं। अवधूत ने बताया कि मंदिर में आने-जाने वाले भक्तों व व्रतधारियों के लिए फलाहार व अन्य के लिए भंडारे का आयोजन किया गया है। भक्त मंदिर में मां के भव्य दर्शन के लिए सादर आमंत्रित हैं। पूरे मंदिर परिसर को दूधिया प्रकाश से सजाया गया है। वहीं, पार्किंग के लिए भी आउटर्ररग रोड व मेट्रो स्टेशन की साइड में व्यवस्था की गई है। 


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