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सीताकुंड के लिए दिखा संतों का प्रेम

मोक्षदायिनी नगरी के सरोवरों, पौराणिक स्थलों एवं सरयू को स्वच्छता प्रदान करने की मुहिम के अंतर्गत सीताकुंड पर पूर्वाह्न् श्रमदान शुरू किया गया। अयोध्या तीर्थ विवेचनी सभा द्वारा संचालित श्रमदान में संत व स्वयं सेवक शामिल हुए। वैदिक रीति से पूजन के बाद अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत ज्ञानदास वैभव-वरिष्ठता को दरकिनार करते हु

By Edited By: Published: Mon, 24 Mar 2014 01:58 PM (IST)Updated: Mon, 24 Mar 2014 01:58 PM (IST)

अयोध्या। मोक्षदायिनी नगरी के सरोवरों, पौराणिक स्थलों एवं सरयू को स्वच्छता प्रदान करने की मुहिम के अंतर्गत सीताकुंड पर पूर्वाह्न् श्रमदान शुरू किया गया। अयोध्या तीर्थ विवेचनी सभा द्वारा संचालित श्रमदान में संत व स्वयं सेवक शामिल हुए।

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वैदिक रीति से पूजन के बाद अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत ज्ञानदास वैभव-वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए युवाओं के मानिंद श्रमदान में लग गए। यह रोचक था कि साधन-सुविधा सम्पन्न संत-महंतों ने अपनी आराध्या भगवती सीता के नाम से स्थापित कुंड के लिए पूरी प्रतिबद्धता ज्ञापित की और पेशेवर श्रमिकों की तरह कुंड की गंदगी की परवाह न करते हुए गले-गले तक पानी में जाकर जलकुंभी सहित अन्य गंदगी को साफ करने का काम किया। सफाई की मुहिम में विवेचनी सभा के अध्यक्ष राजकुमारदास, महासचिव रामदास, उपाध्यक्ष गिरीशदास, सचिव अभिषेक मिश्र, अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत गौरीशंकरदास, डॉ. राघवेशदास, महंत बृजमोहनदास, महंत मनमोहनदास, पुजारी रमेशदास, महंत मलखानदास, रामप्रसाददास, संजयदास, हेमंतदास, महंत किशोरीशरण, नगरपालिकाध्यक्ष राधेश्याम गुप्त, महंत कमलादास, वीरेंद्र शर्मा, डॉ. सत्येंद्र त्रिपाठी, ऋषिकेश उपाध्याय, इंजीनियर रामनयन मिश्र आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

अर्से से उपेक्षित सीताकुंड की भंगिमा इस दौरान कृतज्ञता ज्ञापित करने वाली रही। जलकुंभी से मुक्त होता जा रहा कुंड का जल तट पर आने वालों का स्वागत करता प्रतीत हो रहा था और तात्कालिक सफाई से ही भविष्य की संभावना छलक रही थी।


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