Move to Jagran APP

Shravan 2021: भगवान शिव क्यों हुए अ‌र्द्धनारीश्वर? जानें क्या है इसका महत्व?

Shravan 2021 भगवान शंकर का अ‌र्द्धनारीश्वर श्रीविग्रह सृष्टि के संचालन का प्रतीक रूप तथा स्त्री-पुरुष के एक-दूसरे के पूरक होने व अनिवार्य आमेलन को रेखांकित करता है। शिव यदि शक्ति से युक्त हों तभी प्रभु होने में समर्थ हैं उनके बिना वे हिलने-डुलने में भी सक्षम नहीं हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 12:30 PM (IST)
Shravan 2021: भगवान शिव क्यों हुए अ‌र्द्धनारीश्वर? जानें क्या है इसका महत्व?
Shravan 2021: भगवान शिव क्यों हुए अ‌र्द्धनारीश्वर? जानें क्या है इसका महत्व?

Shravan 2021: भगवान शंकर का अ‌र्द्धनारीश्वर श्रीविग्रह सृष्टि के संचालन का प्रतीक रूप तथा स्त्री-पुरुष के एक-दूसरे के पूरक होने व अनिवार्य आमेलन को रेखांकित करता है। आदिकाल में जगत रचयिता ब्रह्मा जी जब सृष्टि सृजन करने का उपक्रम कर रहे थे तो वे ऊहापोह की स्थिति में थे कि कैसे क्या किया जाये? तब उन्हें आकाशवाणी सुनाई दी- 'स्पर्शेषु यत्षोडशमेकविंश:'। अर्थात् स्पर्शाक्षरों में सोलहवां और इक्कीसवां यानी 'त' और 'प' करो।

prime article banner

वर्णमाला में अ से अ: तक स्वर हैं तथा क से ह तक व्यंजन या स्पर्शाक्षर। क्ष त्र ज्ञ संयुक्ताक्षर हैं। निर्देश था 'तप करो, तप करो'। इस दैवी निर्देश का पालन कर वे कठोर तप करने लगे। शिव महापुराण, तृतीय शतरुद्र संहिता, अध्याय-तीन के अनुसार, यथा समय उन्हें शक्ति से संयुक्त शिव जी के दर्शन हुए। ब्रह्मा जी का मनोरथ जानते हुए ही उन्होंने इस अ‌र्द्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिए और निर्दिष्ट किया कि, 'आप स्त्री-पुरुष के संयोग वाली संयुक्त सृष्टि सृजित करें।' ऐसा कहकर उन्होंने अपनी शक्ति भगवती को शरीर से पृथक करके दिखा दिया।

शक्ति से हुई नारी-कुल की स्थापना

ब्रह्मा जी ने भगवती शक्ति की भक्तिमयी प्रार्थना की और निवेदन किया कि वे दक्ष प्रजापति की कन्या के रूप में जन्म ग्रहण करें, ताकि नारी-कुल की स्थापना हो सके। भगवती मां ने यह प्रार्थना तो मान ही ली, साथ ही अपनी भृकुटियों के मध्य से अपने ही समान एक अन्य नारी भी प्रकट कर दी। विधाता का उद्देश्य पूर्ण हो गया था। वे सब कुछ समझ गये। अत: भगवान भोलेनाथ ने शक्ति मां को पुन: अपने में समाहित कर लिया और अंतर्धान हो गये।

शक्ति की महिमा

आद्य शंकराचार्य ने भी कहा है कि, 'शिव यदि शक्ति से युक्त हों तभी 'प्रभु' होने में समर्थ हैं; उनके बिना वे हिलने-डुलने में भी सक्षम नहीं हैं।' (शिव: शक्त्या युक्तो यदि भवति शक्त:प्रभवितुम्। न चेदेवं देवो न खलु कुशल: स्पन्दितुमपि।।) वैसे भी शिव शब्द से यदि शक्ति अर्थात् छोटी इ की मात्रा हटा ली जाय,तो 'शव' शब्द रह जायगा। यह है शक्ति की महिमा और विश्व के सुचारु संचालन में नारी की महत्ता, जिसका रूपक भूतभावन भगवान शंकर का अ‌र्द्धनारीश्वर स्वरूप है।

रघोत्तम शुक्ल, भारतीय संस्कृति के अध्येता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.