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Sawan 2021: सावन के महीने में धारण करें रुद्राक्ष, दूर होंगे सभी रोग और दोष

Sawan 2021 रुद्राक्ष का संबंध अपने नाम के अनुरूप रुद्र अर्थात भगवान शिव से है। मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने से न केवल भगवान शिव प्रसन्न होते हैं बल्कि रुद्राक्ष का कई तरह के रोग और ग्रह दोष दूर करने में भी प्रयोग किया जाता है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 08:00 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 08:03 AM (IST)
Sawan 2021:  सावन के महीने में धारण करें रुद्राक्ष, दूर होंगे सभी रोग और दोष
Sawan 2021 सावन के महीने में धारण करें रुद्राक्ष, दूर होंगे सभी रोग और दोष

Sawan 2021: रुद्राक्ष का संबंध अपने नाम के अनुरूप रुद्र अर्थात भगवान शिव से है। रुद्राक्ष को रुद्र मतलब भगवान शिव का अश्रु माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव कई वर्षों से कठोर तपस्या में लीन थे। जब किसी कारण वश जब उन्होंने अपनी आंखें खोली, तो उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। माना जाता है इन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। इसी वजह से यह पवित्र और पूज्यनीय है।

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हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में रुद्राक्ष का विशेष स्थान है। मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने से न केवल भगवान शिव प्रसन्न होते हैं बल्कि रुद्राक्ष का कई तरह के रोग और ग्रह दोष दूर करने में भी प्रयोग किया जाता है। सावन का महीना रुद्राक्ष धारण करने के लिए सर्वोत्म माह है। लेकिन रुद्राक्ष को धारण करने कुछ नियम हैं, आईए जानते हैं उनके बारे में....

रुद्राक्ष धारण करने के विशेष नियम

1- रुद्राक्ष को हाथ में, गले में या फिर ह्रदय पर धारण करना चाहिए। इसे गले में माला के रूप में पहनाना सर्वोत्तम माना गया है।

2- हाथ की कलाई पर 12, गले में 36 और ह्रदय पर 108 रुद्राक्ष के दानों को पहनना चाहिए।

3- यदि रुद्राक्ष का केवल एक दाना धारण कर रहे हैं तो ध्यान रखे उसे ह्रदय तक पहुंचना चाहिए और इसे लाल धागे में पहने।

4- रुद्राक्ष भगवान शिव का वरदान माना जाता है, इसलिए इसे धारण करने से पहले इसे भगवान शिव के चरणों में अर्पित कर पहनना चाहिए।

5- रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन और आचरण करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

6- रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे उचित समय सावन का महीना या शिवरात्रि की तिथि है। इसके अलावा इसे सोमवार या प्रदोष के दिन भी धारण किया जा सकता है।

7- रुद्राक्ष आपने स्वरूप के आधार पर कई तरह के होते हैं एक मुखी, दो मुखी, तीन मुखी, चार मुखी या फिर बहुमुखी रुद्राक्ष। अपने स्वरूप के अनुरूप इनका गुण और प्रभाव भी होता है। इसलिए अपनी जरूरत के अनुरूप किसी ज्योतिषी पूछ कर ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


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