Shani Pradosh Vrat Katha: पूजा करते समय अवश्य पढ़ें शनि प्रदोष व्रत कथा
Shani Pradosh Vrat Katha दिसंबर का पहला प्रदोष व्रत आज है। आज शनिवार है ऐसे में इस व्रत को शनि प्रदोष कहा जाएगा। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिवजी के साथ-साथ शनिदेव की पूजा भी करनी चाहिए।
Shani Pradosh Vrat Katha: दिसंबर का पहला प्रदोष व्रत आज है। आज शनिवार है ऐसे में इस व्रत को शनि प्रदोष कहा जाएगा। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिवजी के साथ-साथ शनिदेव की पूजा भी करनी चाहिए। इससे व्यक्ति को शिवजी और शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है उसे रोग-दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन पूजा करते समय व्यक्ति को प्रदोष व्रत कथा भी जरूर पढ़नी चाहिए। तो आइए पढ़ें प्रदोष व्रत कथा।
प्रदोष व्रत कथा:
प्राचीन काल की बात है। एक सेठ और सेठानी थे। इनकी कोई संतान नहीं थी। इसके चलते ही सेठ-सेठानी बहुत दुखी रहा करते थे। समय बीतने के साथ-साथ सेठ-सेठानी की उम्र भी बढ़ने लगी। ऐसे में सेठ-सेठानी ने फैसला किया कि वो दोनों तीर्थ यात्रा करने जाएंगे। तीर्थ यात्रा करने के बारे में विचार करने के बाद दोनों घर से निकल पड़े। कुछ ही दूर जाने के बाद उन्हें एक साधु मिले।
सेठ-सेठानी ने सोचा कि यात्रा शुरू करने से पहले क्यों न इनका आशीर्वाद ले लिया जाए। दोनों ही उन साधु महाराज के पास जाकर बैठ गए। साधु महाराज ध्यान में मग्न थे। जब साधु महाराज ध्यान से उठे तो सेठ-सेठानी को अपने पास बैठा देखकर बेहद ही प्रसन्न हुए। साधु महाराज ने सेठ-सेठानी से कहा कि वो तीर्थ से वापस लौटकर शनि प्रदोष व्रत करें। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति होगी। जब सेठ-सेठानी तीर्थ से लौटे तो उन्होंने शनि प्रदोष व्रत किया और उस व्रत के प्रभाव से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'