Move to Jagran APP

Shani Kavach Ka Path: आज करें इस रहस्यमयी कवच का पाठ, संकटों से रक्षा करेंगे शनि देव

शनिवार के दिन जो जातक भगवान शनि की पूजा करते हैं और उनके लिए कठिन उपवास का पालन करते हैं उन्हें कर्मफल दाता की कृपा से मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही कुंडली से शनि दोष का प्रभाव भी कम होता है। इसके अलावा शनिवार की शाम शनि कवच (Shani Kavach Path) का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Sat, 20 Apr 2024 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2024 07:00 AM (IST)
Shani Kavach Ka Path: आज करें इस रहस्यमयी कवच का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Kavach Ka Path: शनि भगवान न्याय के देवता हैं। शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र दिन जो भक्त भगवान शनि की पूजा करते हैं और उनके लिए कठिन उपवास का पालन करते हैं उन्हें कर्मफल दाता की कृपा से मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही कुंडली से शनि दोष का प्रभाव भी कम होता है।

loksabha election banner

इसके अलावा शनिवार की शाम 'शनि कवच' का पाठ करना (Shani Kavach) भी बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है, जो इस प्रकार है -

''शनि कवच''

अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शनैश्चरो देवता, शीं शक्तिः,

शूं कीलकम्, शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः

नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान्।

चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।

श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महंत्।

कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।।

कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्।

शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।।

ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन:।

नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज:।।

नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा।

स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज:।।

स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद:।

वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता।।

नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा।

ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा।।

पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल:।

अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन:।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य:।

न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज:।।

व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा।

कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि:।।

अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे।

कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।

जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु:।।

यह भी पढ़ें: Bateshwar Temple: बेहद रहस्यमयी है बटेश्वर धाम मंदिर, यहां उल्टी धारा में बहती है यमुना नदी, जानिए इससे जुड़े रोचक तथ्य

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.