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Mahabharat: शकुनि के इशारों पर चलते थे उसके पासे, ऐसे जीता था पांडव के खिलाफ चौसर का खेल

शकुनि मामा (Shakuni Dice Secret) को महाभारत का मुख्य पात्र माना जाता है। कुछ लोगों का यह मानना है कि शकुनि को चौसर के खेल में महारथ हासिल था। यही नहीं वह तंत्र विद्या में भी माहिर था जिसके चलते वह अपने पासों को अपने पक्ष में कर लेता था। इसलिए शकुनि को हर बार इस खेल में विजय प्राप्त होती थी।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Fri, 26 Apr 2024 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2024 01:24 PM (IST)
Mahabharat: शकुनि के पासों से जुड़े तथ्य

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahabharat: हिंदू धर्म में महाभारत की कथा का विशेष महत्व है। इसके हर पात्र की अपनी एक खास विशेषता थी, लेकिन शकुनि मामा (Shakuni Mama) को महाभारत का मुख्य पात्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्हीं की कुटिल और धूर्त साजिशों के चलते, दुर्योधन हर बार वो गलती कर बैठता था, जिस कारण महाभारत का युद्ध हुआ।

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आज हम मामा शकुनि से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बात करेंगे, जिसे जानकर आपको भी हैरानी हो सकती है, हालांकि बहुत से लोगों को ये तथ्य पता भी होंगे, तो आइए जानते हैं -

शकुनि के पासों का रहस्य

महाभारत की कथा में आपने शकुनि के पासों के बारे में जरूर पढ़ा होगा। ऐसा माना जाता है कि वे पासे उसके मृत पिता की रीढ़ की हड्डी से बने हुए थे और इसमें उसके पिता की आत्मा का वास था। दरअसल, शकुनि के पिता ने प्राण त्यागने से पूर्व उससे कहा था कि 'मेरी मृत्यु के बाद तुम मेरी हड्डियों से पासा बना लेना, जो तुम्हारी सदैव सहायता करेंगे। साथ ही जीवन भर तुम्हे कोई भी चौसर के खेल में हरा नहीं पाएगा'। इसलिए शकुनि को हर बार इस खेल में विजय प्राप्त होती थी।

इसके अलावा कुछ लोगों का यह भी मानना है कि उसे इस खेल में महारथ हासिल था। यही नहीं वह तंत्र विद्या में भी माहिर था, जिसके चलते वह अपने पासों को अपने पक्ष में कर लेता था। जानकारी के लिए बता दें कि इन कथाओं का जिक्र वेद व्यास जी ने महाभारत में नहीं किया है। यह सिर्फ लोक कथाओं पर आधारित है।  

कौन था शुकनि?

शकुनि गांधारी के भाई और धृतराष्ट्र के साले थे। ऐसा कहा जाता है कि वे गंधारी के विवाह से बिल्कुल खुश नहीं थे, क्योंकि धृतराष्ट्र नेत्रहीन थे। उन्होंने इस विवाह को रोकने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन उनके सभी प्रयास असफल हो गए थे। अपनी बहन के साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए शकुनी हस्तिनापुर आकर रहने लगा था और पांडवों के खिलाफ कौरवों को भड़काने लगा था।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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