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Shakambhari Katha: क्या आप भी कर रहे हैं शाकम्भरी माता का पूजा तो जरुर पढ़ें यह कथा

Shakambhari Katha आज से शाकम्भरी उत्सव शुरू हो गया है। ऐसे में अगर आप मां शाकम्भरी की पूजा कर रहे हैं तो इस कथा को अवश्य पढ़ें। देवी भागवतम के अनुसार एक बेहद ही क्रूर राक्षस था जिसका नाम दुर्गम था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 07:40 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 07:40 AM (IST)
Shakambhari Katha: क्या आप भी कर रहे हैं शाकम्भरी माता का पूजा तो जरुर पढ़ें यह कथा
Shakambhari Katha: क्या आप भी कर रहे हैं शाकम्भरी माता का पूजा तो जरुर पढ़ें यह कथा

Shakambhari Katha: आज से शाकम्भरी उत्सव शुरू हो गया है। ऐसे में अगर आप मां शाकम्भरी की पूजा कर रहे हैं तो इस कथा को अवश्य पढ़ें। देवी भागवतम के अनुसार, एक बेहद ही क्रूर राक्षस था जिसका नाम दुर्गम था। उसने तीनों लोकों में इतना अत्याचार किया था कि देवताओं को तक स्वर्ग छोड़ना पड़ा था। दुर्गम राक्षसे ने तमाम कष्ट झेले और तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप उसने भगवान को प्रसन्न किया और चारों वेदों का अधिग्रहण कर लिया। उसे एक ऐसा वरदान प्राप्त था कि उसे कोई देवता नहीं मार पाएगा। साथ ही यह भी कहा जाता है कि उसे यह वरदान भी प्राप्त था कि देवताओं के लिए की जाने वाली सभी पूजा और प्रार्थनाएं उसके पास पहुंचेगी। उसकी शक्तियां बहुत बढ़ गई थीं। उसने सभी को परेशान करना शुरू कर दिया था।

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चारों ओर त्राहीमाम मच गया था। इसके परिणामस्वरूप काफी लंबे समय तक पृथ्वी पर बारिश नहीं हुई। इससे पृथ्वी पर अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी। तपस्वी, साधु एवं ऋषि-मुनि हिमालय की गुफाओं में पलायन कर गए थे। इन सभी ने देवी मां को प्रसन्न करने और इस समस्या से निजात पाने के लिए यज्ञ और तप शुरु कर दिया।

तप और यज्ञ से प्रसन्न होकर मां ने उनके कष्टों को सुना और आदि देवी ने मां शाकम्भरी को आदेश दिया कि वो सभी में अनाज, फल, जड़ी-बूटियां, दालें, सब्जियां और साग-भाजी आदि वितरित करे। इसके बाद से ही देवी का यह स्वरूप शाकम्भरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ऐसा कहा जाता है कि लोगों की ऐसी हालत देख माता शाकम्भरी की आंखों से लगातार 9 दिनों आंसू बह रहे थे। उनके आंसू शीघ्र ही एक नदी में परिवर्तित हो गए। इसके बाद अकाल हमेशा के लिए खत्म हो गया।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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