Shab-E-Barat 2019 Wishes, Greetings: इस तरह दें Facebook और WhatsApp पर 'शब-ए-बारात' की मुबारकबाद
Shab-E-Barat 2019 Wishes Greetings शाबान महीने की 15वीं रात शब-ए-बारात के तौर मनाई जाती है। इस बार यह रात 20 अप्रैल यानी आज है। अगले दिन यानी 21 अप्रैल को रोजा रखना फर्ज है।
नई दिल्ली, जेएनएन। इस्लामिक कैलेंडर के शाबान महीने की 15वीं रात शब-ए-बारात के तौर मनाई जाती है। इस्लामिक जानकारों के मुताबिक इस बार यह रात 20 अप्रैल यानी आज है। अगले दिन यानी 21 अप्रैल को रोजा रखना भी फर्ज कहा गया है। इस दिन खुदा लोगों का लेखा-जोखा तय करते हैं। साथ ही सजा और माफी भी मुकर्रर करते हैं। गुनाहों की माफी के लिए रात भर इबादत करने और अगले दिन रोजा रखना फर्ज बताया गया है। अपने रिश्तेदारों दोस्तों को यह संदेश भेजकर मुबारकबाद दे सकते हैं।
Shab E Barat 2019 Wishes, WhatsApp Messages and Greetings
1: रहमतों की आई है रात
दुआ है आप सदा रहें आबाद
दुआ में रखना हमें भी याद
मुबारक हो आपको 'शब-ए-बारात'
2: आज की रात 'शब-ए-बारात' है
हमारा नामा-ए-अमल तब्दील होने वाला है
3: अगर आप खुद को माफ कर सकते हैं
तो आप दूसरों को भी माफ कर सकते हैं
'शब-ए-बारात' आपको मुबारक हो
4: अगर मुझसे कोइ गलती हो गई हो तो मुझे माफ कर देना
आज 'शब-ए-बारात' है खुदा की इबादत कर लेना
5: ऐ अल्लाह मैं तुझसे मांगता हूं ऐसी माफी
जिसके बाद कोई गुनाह न हो
ऐसी सेहत जिसके बाद बीमारी न हो
ऐसी रजा जिसके बाद कोई नाराजगी न हो
'शब-ए-बारात' मुबाकर हो
सजा और माफी मुकर्रर करने करने की रात है शब-ए-बारात
मुस्लिम धर्मावलंबियों के मुताबिक शाबान महीने की 15 तारीख बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस तारीख की रात और अगले दिन तक रोजा रखना फर्ज बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन खुदा पूरे जहान का लेखा जोखा बनाते हैं और लोगों के काम, उनकी सजा और माफी मुकर्रर करते हैं। अल्लाह ने जालिम लोगों को माफी का मौका शब-ए-बारात के रूप में दिया है। इस तारीख को कुरान की तिलावत करना, खुदा की इबादत करना, फातेहा ख्वानी कराना और अपने पूर्वजों को याद करना फर्ज किया गया है। इसके एवज में उसकी सजा और गुनाहों को माफ कर दिया जाएगा।
नबी की मुहब्बत में उवैस ने अपने दांत शहीद किए
इस्लाम धर्म के कुछ लोगों के मुताबिक एक बार पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद का एक दांत उहद की जंग में शहीद हो गया था। यह खबर जब उनके करीब उवैस करनी को पता चली तो उन्होंने नबी की मुहब्बत में अपने सारे दांत तुड़वा दिए। यह दिन शब-ए-बारात का था। फिर से दांत उगाने के लिए उन्हें विशेष प्रकार से बनाया गया हलुवा खाने को दिया जाता था। बाद में लोग नबी की याद में शब-ए-बारात को उनकी इबादत करने लगे और हलुवे की फातेहा ख्वानी कराने लगे।