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Ravi Pradosh Vrat 2021: आज है रवि प्रदोष व्रत, जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि

Ravi Pradosh Vrat 2021 अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की 17 अक्टूबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन रविवार होने के कारण प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 06:00 AM (IST)
Ravi Pradosh Vrat 2021: आज है रवि प्रदोष व्रत, जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि
आज है रवि प्रदोष व्रत, जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि

Ravi Pradosh Vrat 2021: हिंदी पंचाग के हर माह के दोनों पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव के लिए व्रत, पूजा-अर्चना आदि की जाती है। इसके साथ ही सप्ताह के दिन के हिसाब से भी इस व्रत का फल मिलता है। इस बार अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की 17 अक्टूबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन रविवार होने के कारण प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। रवि प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि व निरोगी काया की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत पूजन करने से सूर्य देव की कृपा भी मिलती है। जो कि आपके मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में वृद्धि कराता है। आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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रवि प्रदोष व्रत तिथि और मुहूर्त

पंचांग गणना के अनुसार अश्विन मास शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 17 अक्टूबर, दिन रविवार को शाम 05 बजकर 39 मिनट से होगा। जो कि 18 अक्टूबर, दिन सोमवार शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाती है इसलिए प्रदोष व्रत 17 अक्टूबर को माना जाएगा। इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।

रवि प्रदोष व्रत की पूजन विधि

रवि प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद तांबे के पात्र में जल ले कर, उसमें रोली और फूल डालें तथा भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। व्रत के दिन फलाहार करते हुए भगवान शिव का स्मरण करें और व्रत करें। इस दिन शाम को प्रदोष काल में फिर से शिव जी का पूजन करना चाहिए। दूध, दही, शहद आदि से भगवानन शंकार का अभिषेक करें। इसके बाद चंदन लगाएं और फिर फल-फूल और मिष्ठान आदि समर्पित करें। कहते हैं इस दिन भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र और रूद्राष्टकम् का पाठ करना लाभकारी होता है। विधिवत पूजन करने के बाद मंत्र उच्चारण करें और आरती से पूजा समापन करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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