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Raksha Bandhan 2019 History: क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन का त्योहार? कथा, महत्व, इतिहास सबकुछ जानें यहां

Raksha Bandhan 2019 History इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है तथा उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 12:13 PM (IST)
Raksha Bandhan 2019 History: क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन का त्योहार? कथा, महत्व, इतिहास सबकुछ जानें यहां
Raksha Bandhan 2019 History: क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन का त्योहार? कथा, महत्व, इतिहास सबकुछ जानें यहां

Raksha Bandhan 2019 History: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत प्रेम पूर्ण आधार देता है रक्षाबंधन का त्योहार। श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय महत्व भी है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है तथा उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती है। बहन के इस स्नेह से बंधकर भाई उसकी रक्षा के लिए कृत संकल्प होता है। हालांकि रक्षाबंधन की व्यापकता इससे भी कहीं ज्यादा है। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, धर्म की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है।

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सम्मान और आस्था के लिए भी बांधते हैं रक्षा सूत्र

विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस पर्व पर बंग भंग के विरोध में जनजागरण किया था और इस पर्व को एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाया था। रक्षा सूत्र सम्मान और आस्था प्रकट करने के लिए भी बांधा जाता है। रक्षाबंधन का महत्व आज के परिपे्रक्ष्य में इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि आज मूल्यों के क्षरण के कारण सामाजिकता सिमटती जा रही है और प्रेम व सम्मान की भावना में भी कमी आ रही है। यह पर्व आत्मीय बंधन को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ हमारे भीतर सामाजिकता का विकास करता है। इतना ही नहीं यह त्योहार परिवार, समाज, देश और विश्व के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति हमारी जागरूकता भी बढ़ाता है।

रक्षाबंधन के कई नाम

राखी पूर्णिमा को कजरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। लोग इस दिन 'बागवती देवी' की भी पूजा करते हैं। रक्षाबंधन को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे विष तारक यानी विष को नष्ट करने वाला, पुण्य प्रदायक यानी पुण्य देने वाला आदि।

ऐसे हुई रक्षाबंधन की शुरुआत

ऐसी मान्यता है कि श्रावणी पूर्णिमा या संक्रांति तिथि को राखी बांधने से बुरे ग्रह कटते हैं। श्रावण की अधिष्ठात्री देवी द्वारा ग्रह दृष्टि-निवारण के लिए महर्षि दुर्वासा ने रक्षाबंधन का विधान किया।

इंद्राणी ने इंद्र को बांधा था रक्षा सूत्र

एक और पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवों एवं दैत्यों में बारह वर्ष तक युद्ध रोक देने का निश्चय किया, किंतु इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने पति की रक्षा एवं विजय के लिए उनके हाथ में वैदिक मंत्रों से अभिमंत्रित रक्षा सूत्र बांधा। इसके बाद इंद्र के साथ सभी देवता विजयी हुए। तभी से इस पर्व को रक्षा के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।

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इतिहास में राखी का महत्व

इतिहास में राखी के महत्व के अनेक उल्लेख मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा-याचना की थी। हुमायूं ने भी राखी की लाज रखी।

कहते हैं, सिकंदर की पत्नी ने पति के हिंदू शत्रु पुरू को राखी बांध कर उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था। पुरू ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया था।

इसी राखी के लिए महाराजा राजसिंह ने रूपनगर की राजकुमारी का उद्धार कर औरंगजेब के छक्के छुड़ाए। महाभारत में भी विभिन्न प्रसंग रक्षाबंधन के पर्व के संबंध में उल्लिखित हैं।

जैन परंपरा में रक्षाबंधन

जैन परंपरा में भी रक्षाबंधन मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन जैन मंदिरों में श्रावक-श्राविकाएं धर्म और संस्कृति की रक्षा के संकल्प पूर्वक रक्षासूत्र बांधते हैं और रक्षाबंधन पूजन करते हैं।

— डॉ. सुनील जैन संचय (लेखक आध्यात्मिक विचारक हैं)


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