हम शांति और तनावरहित जीवन कैसे जिएं
अगर हम अपने आपको, जिंदगी में घटने वाली हर घटना से प्रभावित होने देंगे तो हमें लगेगा कि जैसे हम हर समय एकत्व की सवारी कर रहे हैं। हम आनंद की ऊंचाइयों से घोर निराशा की गहराइयों में पहुंच जाएंगे और फिर अगले ही क्षण वापस आनंद की अवस्था में
अगर हम अपने आपको, जिंदगी में घटने वाली हर घटना से प्रभावित होने देंगे तो हमें लगेगा कि जैसे हम हर समय एकत्व की सवारी कर रहे हैं। हम आनंद की ऊंचाइयों से घोर निराशा की गहराइयों में पहुंच जाएंगे और फिर अगले ही क्षण वापस आनंद की अवस्था में होंगे। इस लगातार बदलाव से अक्सर भय, तनाव और आतंक पैदा होता है। सभी इंसान जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं।
ये मानव के अस्तित्व का अभिन्न् अंग है और इनसे बचा नहीं जा सकता। प्रश्न यह है कि जीवन-पथ पर जब हम ऊंच-नीच का सामना करेंगे तो क्या हम मन की शांति खोकर, अस्थिर बनना चाहेंगे? अगर हम अपने आपको, जिंदगी में घटने वाली हर घटना से प्रभावित होने देंगे तो हमें लगेगा कि जैसे हम हर समय एकत्व की सवारी कर रहे हैं।
हम आनंद की ऊंचाइयों से घोर निराशा की गहराइयों में पहुंच जाएंगे और फिर अगले ही क्षण वापस आनंद की अवस्था में होंगे। इस लगातार बदलाव से अक्सर भय, तनाव और आतंक पैदा होता है, क्योंकि हमें कभी यह पता नहीं होता कि आगे क्या होगा। समय के साथ, भय और तनाव की यह अवस्था हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाती है और हम शांत या तनाव रहित नहीं हो पाते। क्योंकि जीवन के उतार-चढ़ावों पर हमारा कोई खास नियंत्रण नहीं होता है तो हम शांति और तनावरहित जीवन कैसे जिएं?
ये कहानी हमें कुछ इशारा देती है:
एक राजा ने अपने सभी चतुर मंत्रियों और सलाहकारों को एक साथ बुलाया और उनके सामने एक प्रश्न रखा, दोस्तों! मैं चाहता हूं कि मैं अंदर से स्थिर रहूं। मैं देखता हूं कि जिंदगी के उतार-चढ़ाव हर समय मेरा संतुलन बिगाड़ते रहते हैं। क्या तुम कोई ऐसी चीज बता सकते हो जिससे, जब मैं दु:ख की अवस्था से गुजर रहा हूं तो खुशी पा सकूं और जब मैं आनंद की अवस्था में होऊं तो वह चीज मुझे दु:खों की याद दिलाती रहे? ऐसी चीज खोजों, जो मैं अपने पास रख सकूं ताकि मेरे चारो ओर कुछ भी घटता रहे, पर मैं शांत, स्थिर रह सकूं।
सभी सलाहकार मिलकर बैठे और उन्होंने राजा की प्रार्थना पर लंबे समय तक विचार-विमर्श किया। अंत में उन्हें एक उपाय सूझा। वे वापस राजा के पास गए। राजा ने देखा कि वे एक छोटा-सा बक्सा लेकर उसकी तरफ आ रहे हैं। सलाहकारों ने कहा, महाराज! हमने आपके लिए एक हल ढूंढ लिया है। कृपया आप इस बक्से को खोलें। जब राजा ने उसे खोला, तो उसमें एक छोटी अंगूठी मिली। उन्होंने राजा से कहा कि इस पर जो लिखा हुआ है, उसे पढ़ो। अंगूठी पर लिखा हुआ था, यह समय भी बीत जाएगा।
इन पांच सादे शब्दों से राजा को मदद मिली और इनसे हमें भी संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है, जब हम जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना करेंगे। जब हम बहुत खुश हों, आनंद में हों, यह याद रखने की जरूरत है कि चीजें हर समय ऐसी नहीं रहेंगी और जब खुशहाल वक्त गुजर जाए तो हमें निराश या हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। जब हम बहुत निराश या नाखुश हों, हमें ये पांच बातें शायद याद दिला सकते हैं कि दर्द अस्थायी है और खुशहाली फिर से लौट आएगी।
जिंदगी के तूफानों और खुशहाली के बीच में, एक शांत स्थान ढूंढकर हम एक संतुलित जहाज पर स्थिर रह सकते हैं। हम ध्यानायास और प्रार्थना के द्वारा इस शांत स्थान पर पहुंच सकते हैं। हमारे अंतर में समस्त दैवीय खजाने हैं। हम मात्र शरीर और मन नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। आत्मा ज्योति, प्रेम और आनंद से भरपूर है। कैसे? यह हर समय प्रभु से जुड़ी रहती है जो कि संपूर्ण ज्योति, प्रेम और आनंद है। सृजनात्मक शक्ति यानी प्रभु और आत्मा एक ही तत्व के बने हैं।