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Pauranik Kathayen: जब गणेश जी को जंगल में छोड़ दिया था माता पार्वती ने, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen आज बुधवार है यानी भगवान श्री गणेश का दिन। आज के दिन हम आपके लिए गणेश जी से जुड़ी एक पौराणिक कथा लाए हैं। इस कथा में उस वाक्ये का जिक्र है जब माता पार्वती ने अपने ही पुत्र श्री गणेश को जंगल में छोड़ दिया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 10:21 AM (IST)
Pauranik Kathayen: जब गणेश जी को जंगल में छोड़ दिया था माता पार्वती ने, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Pauranik Kathayen: जब गणेश जी को जंगल में छोड़ दिया था माता पार्वती ने, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: आज बुधवार है यानी भगवान श्री गणेश का दिन। आज के दिन हम आपके लिए गणेश जी से जुड़ी एक पौराणिक कथा लाए हैं। इस कथा में उस वाक्ये का जिक्र किया गया है जब माता पार्वती ने अपने ही पुत्र श्री गणेश को जंगल में छोड़ दिया था। आइए पढ़ते हैं गणेश जी की यह पौराणिक कथा।

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एक बार माता पार्वती ने घने जंगल में शिशु गणेश को थोड़ दिया था। इस जंगल में हिंसक जीव भी मौजूद थे। कभी-कभार उस जंगल से ऋषि मुनि भी गुजरा करते थे। इस दौरान एक सियार ने शिशु गणेश को देखा और उसके पास जाने लगा। इस समय ऋषि वेद व्यास के पिता पराशर मुनि भी वहां से गुजरे। तभी वहां से गुजरते समय उनकी दृष्टि उस बालक पर पड़ी। उन्होंने देखा कि सियार धीरे-धीरे एक सियार उस शिशु के पास आ रहा था।

उन्होंने सोचा कि कहीं ये इंद्र देव का कोई जाल तो नहीं है उनका तप भंग करने के लिए। लेकिन फिर महर्षि पराशर तेजी से शिशु की ओर बढ़े और यह देखकर वह सियार अपनी जगह पर ही रुक गया। फिर पता नहीं कहा लेकिन वह सियार कहीं गुम हो गया। उस बालक को ऋषि ने देखा। उसकी 4 भुजाएं थीं। सुंदर वस्त्र, रक्त वर्ण और गजवदन देख वो समझ गए कि वो कोई साधारण बालक नहीं है। बल्की यह स्वयं प्रभु थे। तब उन्होंने शिशु के चरणों में अपना मस्तक रख दिया। ऋषि खुद को बेहद भाग्यशाली समझने लगे। वे शिशु को अपने साथ लेकर अपने आश्रम चले गए।

जब वो आश्रम पहुंचे तो उनके साथ बालक को देख उनकी पत्नी वत्सला ने पूछा कि यह बालक उन्हें कहां से मिला। तब उन्होंने कहा यह बालक उन्हें जंगल के तट पर पड़ा मिला। शायद इसे वहां कोई छोड़ गया। वत्सला ने उस शिशु को देखा और वे बेहद प्रसन्न हो गईं। ऋषि पराशर ने अपनी पत्नी से कहा कि यह बालक साक्षात त्रिलोकी नाथ है। यह हमारा उद्धार करेगा। यह सुनकर वत्सला बेहद रोमांचित हो गईं। इसके बाद से उन दोनों ने मिलकर गणेश जी का खूब लालन पालन किया। 


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