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Pauranik Kathayen: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए शिवजी ने किया था यह काम, पढ़ें यह कथा

Pauranik Kathayen न्याय प्रिय देवता शनिदेव को कहा जाता है। शनिदेव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। 9 ग्रहों में से एक मुख्य ग्रह शनि ही हैं। ऐसा कहा जाता है कि सभी ग्रहों में से सबसे धीमे शनि ग्रह चलता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 12:50 PM (IST)
Pauranik Kathayen: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए शिवजी ने किया था यह काम, पढ़ें यह कथा
Pauranik Kathayen: शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए शिवजी ने किया था यह काम, पढ़ें यह कथा

Pauranik Kathayen: न्याय प्रिय देवता शनिदेव को कहा जाता है। शनिदेव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। 9 ग्रहों में से एक मुख्य ग्रह शनि ही हैं। ऐसा कहा जाता है कि सभी ग्रहों में से सबसे धीमे शनि ग्रह चलता है। इसी के चलते इन्हीं शनैश्चर कहा जाता है। आज शनिवार है और आज का दिन शनिदेव को समर्पित है। आज के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन जो शनिदेव की सच्चे मन से पूजा कता है उस पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है। शनि दोषों से मुक्ति पाने के लिए भी आज के दिन पूजा करना बेहद शुभ होता है। आज शनिवार के दिन हम आपको शनिदेव की एक पौराणिक कथा सुना रहे हैं जिसमें यह बताया गया है कि शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए भोलेनाथ ने क्या किया था।

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शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनिदेव को दंडाधिकारी भी कहा जाता है। न्याय करते समय शनिदेव को भेदभाव नहीं करता हैं। साथ ही किसी से प्रभावित भी नहीं होते हैं। कुछ पौरणिक कथाओं यके अनुसार, शिव को ही शनि का गुरु बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव को शिव की कृपा से ही दंडाधिकारी चुना गया था। एक बार शिव जी कैलाश पर विराजमान थे। वहां उनके दर्शन करने शनिदेव आए। उन्होंने शिवजी को प्रणाम किया और क्षमा मांगते हुए कहा कि हे भोलेनाथ! मैं आपकी राशि में प्रवेश करने वाला हूं। ऐसे में आप मेरी वक्र दृष्टि से आप नहीं बच पाएंगे।

तब शिवजी ने पूछा कि वक्र दृष्टि कब तक रहेगी। शनिदेव ने कहा कल सवा पहर तक। शिवजी शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए अगले दिन हाथी बन गए और फिर पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने लगे। फिर कुछ बाद जब शिवजी वापस आए तो उन्होंने शनिदेव से कहा कि वो उनकी वक्र दृष्टि से बच गए हैं। यह सुनकर शनिदेव मुस्कुराए और कहा कि आप मेरी दृष्टि के कारण ही पूरे दिन पृथ्वी लोक पर हाथी बनकर भ्रमण कर रहे थे। शनिदेव ने शिवजी से कहा कि मेरे ही राशि भ्रमण का परिणाम थआ कि आप पशु योनी में चले गए थे। यह सुन महादेव बेहद खुश हुए और शनिदेव उन्हें और भी अच्छे लगने लगे।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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