Pauranik Kathayen: तो इस तरह मूषक बना गणपति बप्पा का वाहन...
Pauranik Kathayen गणेश पुराण के अनुसार द्वापर युग में एक मूषक था जो बहुत ही बलवान था। यह मूषक महर्षि पराशर के आश्रम में आकर उन्हें बेहद परेशान कर रहा था। उसने आश्रम के कई बर्तन तोड़ दिए। ये बर्तन मिट्टी से बने हुए थे।
Pauranik Kathayen: गणेश पुराण के अनुसार, द्वापर युग में एक मूषक था जो बहुत ही बलवान था। यह मूषक महर्षि पराशर के आश्रम में आकर उन्हें बेहद परेशान कर रहा था। उसने आश्रम के कई बर्तन तोड़ दिए। ये बर्तन मिट्टी से बने हुए थे। इसके अलावा ऋषियों के कई वस्त्र और ग्रथों को भी काट दिया। महर्षि पराशर इस मूषक से बहुत परेशान थे। इससे छुटकारा पाने के लिए महर्षि गणेश जी के पास गए। महर्षि की भक्ति देख गणेश जी बेहद प्रसन्न हो गए और उस मूषक को पकड़ने की कोशिश करने लगे। गणेश जी ने उस मूषक पर पाश फेंका। मूषक का पीछा करते हुए पाश पाताल लोक पहुंच गया। वहां से मूषक को पाश बांधकर गणेश जी के पास ले आया।
गणेश जी के पास आते ही मूषक ने जैसे ही उन्हें देखा तो वो उनकी अराधना करने लगा। फिर गणेश जी ने मूषक से कहा कि उसने महर्षि पराशर को बेहद परेशान किया है। लेकिन अब तुम कुछ भी मांग सकते हो क्योंकि तुम मेरी शरण में आ गए हो। मूषक ने गणेश जी की बात सुनी और खुद पर अभिमान करने लगा। उसने वरदान मांगा कि मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए। लेकिन अगर आप मुझसे कुछ मांगना चाहें तो जरूर मांग सकते हैं। यह सुन गणेश जी मुस्कुराने लगे। उन्होंने मूषक से कहा कि वो उनका वाहन बन जाए। वरदान को पूरा करने के लिए मूषक गणेश जी का वाहन बन गया है। लेकिन जैसे ही मूषक पर गणेश जी चढ़ें तो उनके भार से मूषक दब गया।
मूषक ने भगवान से प्रार्थना कर कहा कि वो अपना भार कुछ कम कर लें। मूष की विनती सुन गणेश जी ने अपना भार कम कर लिया और उसके बाद से ही गणेश जी का वाहन मूषक बन गया।
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