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Shardiya Navratri 2021: जानिए मां दुर्गा के नौ रूप, शारदीय नवरात्रि में करते हैं जिनका पूजन

Shardiya Navratri 2021 पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर से प्रारंभ हो कर 15 अक्टूबर तक रहेगी। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नव रूपों का पूजन किया जाता है। आइए जानते है मां दुर्गा के इन नौ रूपों के बारे में….

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 01:24 PM (IST)
Shardiya Navratri 2021: जानिए मां दुर्गा के नौ रूप, शारदीय नवरात्रि में करते हैं जिनका पूजन
जानिए मां दुर्गा के नौ रूप, शारदीय नवरात्रि में करते हैं जिनका पूजन

Shardiya Navratri 2021: पौराणिक मान्यता के अनुसार पितर पक्ष की समाप्ति के बाद से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रहे हैं। शारदीय नवरात्रि का पूजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। जो कि नवमी तिथि तक चलता है। पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर से प्रारंभ हो कर 15 अक्टूबर तक रहेगी। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नव रूपों का पूजन किया जाता है। इन्हें नव दुर्गा का कहा जाता है, नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां के एक रूप का पूजन होता है। आइए जानते है मां दुर्गा के इन नौ रूपों के बारे में जिनका पूजन नवरात्रि में विधि-विधान से किया जाता है....

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1-शैलपुत्री- नव दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री देवी का है। ये माता पार्वती का ही एक रूप हैं हिमालयराज की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप का पूजन होता है।

2-ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारिणी देवी, नव दुर्गा का दूसरा रूप हैं। माता पार्वती के घोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण इनका नाम ब्रह्म यानि तपस्या का आचरण करने वाली, ब्रह्मचारिणी या तपसचारिणी देवी पड़ा है। ये हाथों में कमण्डल और माला धारण करती हैं।

3- चंद्रघंटा – मां दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघण्टा है। ये भगवान शिव का अद्धचंद्र इनके मस्तक पर घण्टे के रूप में शुसोभित है। इसी कारण इनका नाम चंद्रघण्टा है। ये अपने दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर बैठी हुई असुरों के नाश के लिए सदैव उद्यत रहती हैं।

4- कूष्मांडा – नव दुर्गा के चौथे रूप को कुष्मांड़ा देवी कहा जाता है। ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति के कारण इन्हें कूष्मांडा माता कहा जाता है। ये जगत की जननी है इस लिए इन्हें जगत जननी भी कहा जाता है। इनका पूजन नवरात्रि के चौथे दिन करने का विधान है।

5- स्कंदमाता – देवी दुर्गा का पंचवा रूप स्कंदमाता है। इनका ये नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तीकेय या स्कंद को जन्म देने के कारण पड़ा है। ये अपनी गोद में षढानन कार्तीकेय को धारण किए रहती हैं। मां का ये रूप सुख प्रदान करने वाला है।

6- कात्यायनी – मां दुर्गा का छठा रूप कात्यायनी देवी का है। कात्यायन ऋषि की साधना और तप से उत्पन्न होने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा गया है। कात्यायनी देवी शोध और पराविद्या की देवी हैं। इनकी उपासना से सात जन्मों के पापों का नाश होता है।

7- कालरात्रि – नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि के पूजन का विधान है। इनके पूजन से सभी सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं। कालरात्रि माता दैत्यों के नाश के लिए और भक्तों को अभय देने के लिए विकराल रूप धारण करती हैं। ये अपने हाथ में खड़ग और नरमुण्ड धारण करती है।

8- महागौरी – मां दुर्गा का आठवां रूप महागौरी है। कठोर तप करने के कारण माता पार्वती का वर्ण काला पड़ गया था। तब शिव जी ने प्रसन्न होकर इनके शरीर पर को गंगा जल छिड़क कर पुनः गौर वर्ण प्रदान किया। इस कारण ही इनका नाम महागौरी पड़ा।

9- सिद्धिदात्री – दुर्गा माता का यह नवां रूप है। इनका पूजन करने सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है, इसलिए ही इनका सिद्धिदात्री देवी पड़ा है। नवरात्रि के अंतिम दिन सिद्धिदात्री देवी का पूजन कर भक्त सभी प्रकार के सुख, सौभाग्य की प्राप्ति करते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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