Navratri 2019: जानें दुर्गा पूजा के दौरान क्या है संध्या आरती का खास महत्व!
Navratri 2019 नवरात्रि के आखिरी 4 दिन मां दुर्गा के पंडाल खुले रहते हैं। नवरात्रि के 10वें दिन को विजय दशमी कहा जाता है और इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन होता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Importance Of Sandhya Arti: दुर्गा पूजा भारत में हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार नवरात्रि के दौरान 9 दिनों के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि के छठे दिन से लेकर नौवें दिन तक मां दुर्गा के विशाल पंडाल दर्शनार्थियों के लिए खुले रहते हैं। नवरात्रि के दसवें दिन को विजय दशमी कहा जाता है और इस दिन मां दुर्गा की मूर्तियों को पानी में उतारा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को विसर्जन कहा जाता है। इस साल 2019 में दशमी 8 अक्टूबर को पड़ रही है।
षष्ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता की सड़कों पर लोगों का हुजूम देखने को मिलता है जो एक पंडाल से दूसरे पंडाल के दर्शन करते दिखते हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा का एक अलग ही महत्व है। वहां के लोग इस त्योहार का साल भी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। इस दौरान नए-नए कपड़े पहनते हैं और सजते संवरते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान कई चीज़ों का अपना अलग ही महत्व होता है। उनमें से एक है संध्या आरती।
अष्टमी का महत्व: कोलकाता में अष्टमी के दिन अष्टमी पुष्पांजलि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग दुर्गा को फूल अर्पित करते हैं। इसे मां दुर्गा को पुष्पांजलि अर्पित करना कहा जाता है। बंगाली चाहे किसी भी कोने में रहे, पर अष्टमी के दिन सुबह-सुबह उठ कर दुर्गा को फूल जरूर अर्पित करते हैं।
क्या होता है संध्या आरती
संध्या आरती का इस दौरान खास महत्व है। कोलकाता में संध्या आरती की रौनक इतनी चमकदार और खूबसूरत होती है कि लोग इसे देखने दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। बंगाली पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे लोग इस पूजा की भव्यता और सुंदरता और बढ़ा देते हैं। चारों ओर उत्सव का माहौल समां बांध देता है। संध्या आरती नौ दिनों तक चलने वाले त्योहार के दौरान रोज शाम को की जाती है। संगीत, शंख, ढोल, नगाड़ों, घंटियों और नाच-गाने के बीच संध्या आरती की रस्म पूरी की जाती है।