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Navratri 2019 Why Idols Of Other God And Goddess Are Also Kept: दुर्गा जी के साथ क्यों होती हैं सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां

With Ma Durga Why Idols Of Other God And Goddess Are Kept महालया पर देवी की अनगढ़ प्रतिमा को नेत्र प्रदान किए जाते हैं और यहीं से पूजा के पर्व का आग़ाज़ माना जाता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 04:41 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 08:40 AM (IST)
Navratri 2019 Why Idols Of Other God And Goddess Are Also Kept: दुर्गा जी के साथ क्यों होती हैं सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां
Navratri 2019 Why Idols Of Other God And Goddess Are Also Kept: दुर्गा जी के साथ क्यों होती हैं सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। With Ma Durga Why Idols Of Other God And Goddess Are Kept: देश में नवरात्रि और दुर्गा पूजा का महोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान देश के हर राज्य की अपनी सांस्कृतिक विशेषताएं जुड़ी होती हैं। चाहे गुजरात के गरबा नृत्य की हो या फिर कुल्लू-मनाली के दशहरे की, देश के हर कोने में इस त्योहार का अलग ही रंग देखने को मिलता है।

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लेकिन इन सबमें जो सबसे जुदा है वह है पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान वहां का पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग में रंगा दिखता है। बंगाल के लोगों के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई त्योहार नहीं होता। वे दुनिया में जहां भी रहें, इस त्योहार को खास बनाने में पीछे नहीं हटते।

क्या है अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां का महत्व

महालया पर देवी की अनगढ़ प्रतिमा को नेत्र प्रदान किए जाते हैं। यह प्रकिया चक्षु-दान कहलाती है और यहीं से पूजा के पर्व का आग़ाज़ माना जाता है। कहते हैं कि देवी अपने साथ गणपति, कार्तिकेय को लेकर अपने महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के विराट स्वरुप में दस दिवस के लिए अपने पति को कैलाश पर छोड़कर अपने पीहर आती हैं। 

चार दिन तक मनती है दुर्गा पूजा

इस पूजा के चार दिनों में सभी लोग खुशियां मनाते हैं। जिस तरह लड़की शादी के बाद अपने मायके आती है, उसी तरह बंगाल में श्रद्धालु इसी मान्यता के साथ यह त्योहार मनाते हैं कि दुर्गा मां अपने मायके आई हैं। 

कुमोरटुली में बनती हैं सबसे ज़्यादा मूर्तियां 

दुर्गोत्सव से तीन-चार महीने पहले ही देवी मां की सुन्दर और मनोहारी मूर्तियां बनाने की तैयारी शुरू हो जाती हैं। प्रमुख रूप से कोलकाता के कुमोरटुली इलाके में सबसे ज़्यादा मूर्तियां बनती हैं। यहां के कलाकार मूर्तियों को आकार देते हैं। बंगाली मूर्तिकार द्वारा देवी दुर्गा के साथ लंबोदर गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी और कार्तिकेय की भी मूर्तियां बनाई जाती हैं। देश के बहुत से इलाकों में बंगाली मूर्तिकारों की खूब मांग रहती है। यहां निर्मित मूर्तियां देश के अन्य स्थानों के साथ ही विदेशों में भी भेजी जाती हैं। 


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