सूर्यदेव के नामों के पीछे छिपी हैं कई पौराणिक कथाएं, जानें क्यों कहलाए आदिदेव
छठ पूजा में सूर्यदेव की उपासना की जाती है। इसमें सूर्यदेव को उगते और डूबते दोनों तरह से अर्घ्य दिया जाता है। शास्त्रों में सबसे ऊपर सूर्य देवता का स्थान रखा गया है। सूर्य देव के कई नाम हैं। इन्हें आदित्य भास्कर जैसे कई नामों से जाना जाता है।
छठ पूजा में सूर्यदेव की उपासना की जाती है। इसमें सूर्यदेव को उगते और डूबते दोनों तरह से अर्घ्य दिया जाता है। शास्त्रों में सबसे ऊपर सूर्य देवता का स्थान रखा गया है। अगर सूर्य देव की पूजा की जाए तो कहा जाता है कि व्यक्ति के हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। सूर्य देव के कई नाम हैं। इन्हें आदित्य, भास्कर जैसे कई नामों से जाना जाता है। इन सभी नामों का महत्व अलग है। सभी के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी है जिनकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं। यहां हम आपको सूर्यदेव के कुछ नामों के पीछे छिपी पौराणिक कथा बता रहे हैँ।
आदित्य और मार्तण्ड: देवमाता अदिति ने असुरों के अत्याचारों से परेशान होकर सूर्यदेव की तपस्या की थी। साथ ही उनसे उनके गर्भ से जन्म लेने की विनती की थी। उनकी तपस्या के प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने अदिति के गर्भ से जन्म लिया और इसी के चलते वो आदित्य कहलाए। कुछ कथाओं के अनुसार, अदिति ने सूर्यदेव के वरदान से हिरण्यमय अंड को जन्म दिया था। तेज के कारण यह मार्तंड कहलाए।
दिनकर: सूर्यदेव दिन पर राज करते हैं। इसी के चलते इन्हें दिनकर भी कहा जाा है। दिन की शुरुआत और अंत सूर्य से ही होती है। इसी के चलते इन्हें सूर्य देव भी कहा जाता है।
भुवनेश्वर: इसका अर्थ पृथ्वी पर राज करने वाला होता है। सूर्य से ही पृथ्वी का अस्तित्व है। अगर सूर्यदेव न हो तो धरती का कोई अस्तित्व नहीं होगा। इसकी चलते इन्हें भुवनेश्वर कहा जाता है।
सूर्य: शास्त्रों में सूर्य का अर्थ चलाचल बताया गया है। इसका मतलब होता है जो हर वक्त चलता हो। भगवान सूर्य संसार में भ्रमण कर सभी पर अपनी कृपा बरसाते हैं जिसके चलते इन्हें सूर्य कहा जाता है।
आदिदेव: ब्रह्मांड की शुरुआत सूर्य से और अंत भी सूर्य में ही समाहित है। इसलिए इन्हें आदिदेव भी कहा जाता है।
रवि: मान्यता है कि जिस दिन ब्रह्मांड की शुरुआत हुई थी उस दिन रविवार था। ऐसे में इस दिन के नाम पर सूर्यदेव का नाम रवि पड़ गया।
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