Motivational: जो मिला है उसमें खुश रह, हाय तौबा मत कर
Motivational कहीं पढ़ा था कि आधी जिंदगी तो हम ऊपर वाले से शिकायत में ही निकाल देते हैं इस बात की कि मुझे ये नहीं मिला मुझे वो नहीं मिला।
Motivational: कहीं पढ़ा था कि आधी जिंदगी तो हम ऊपर वाले से शिकायत में ही निकाल देते हैं, इस बात की कि मुझे ये नहीं मिला, मुझे वो नहीं मिला। एक बार सोच के देखिए, क्या आपने ऊपर वाले का कभी धन्यवाद दिया, कि हे भगवान, आपने जो दिया, वो कमाल का दिया। उसका लाख बार शुक्रिया। इसी घटना को हमारे साथ जोड़िए। हमारे बच्चे हमें रोज शिकायत करें कि कार नहीं दिलाई, हैलीकॉप्टर नहीं दिलाया। हमारे मन में आयेगा ही कि कैसा बच्चा है, हम पेट काट काट कर इसे पाल रहे हैं और इसकी फरमाइशें ही खत्म नहीं होती। सोचिए ई्श्वर भी हमारे बारे में ऐसा सोचें हमारी शिकायते सुनकर तो...
खैर.. ऊपर लिखी बातों का सार है कि जो है, पर्याप्त है। टालस्टॉय कहते हैं कि जिस हालत में हो, ईश्वर का धन्यवाद करो। संसार में इससे भी अधिक कष्ट हैं। भगवान बुद्ध ने कहा है कि दुख की उत्तपत्ति पाप से होती है। अगर हम विलासिता की होड़ में कुछ भी गलत करके कुछ अर्जित कर रहे हैं तो वो हो सकता है क्षणिक रूप में सुख दे पर यह तय है कि अंतत वो दुख में तब्दील होगा। पाप किया है तो कष्ट भोगना ही पड़ेगा।
स्टार्म जैमसन कहते हैं कि यह सोचना भ्रामक है कि अधिकाधिक सुविधाओं का मतलब है कि अधिक सुख, सुख तो गहनता से अध्ययन करने, सरलता से आनंदित होने, उन्मुक्त होकर सोचने और वांछित होने की क्षमता से आता है।
हिन्दुस्तान के महान कहानीकार प्रेमचंद का भी जिक्र करते हैं जिन्होंने सामाजिक परिस्थितियों को दिखाते सैंकड़ों शाकार हिन्दी साहित्य में जोड़े हैं। प्रेमचंद ने कहा कि दुख को भुलाने से दुख मर जाता है। बहुत ही खूब कहा है प्रेमचंद ने। अगर आप आपके दुख का राग गाते रहेंगे तो मानकर चलिए कि दुख भी आपके साथ साथ चलेगा। ज्यादा बेहतर है कि दुख को भुला दीजिए, सुख का स्वागत कीजिए।
पतंजलि में लिखा है कि संतोष से सर्वोत्तम सुख प्राप्त होता है। ये वो वाक्य है जहां से हमने आज के इस लेख की शुरुआत की थी। हाय तौबा मत कीजिए। जो मिला है उसमें संतोष कीजिए। ऊपर वाले का धन्यावाद दीजिए, जो दिया बहुत दिया, शुक्रिया भगवान।