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Motivational Story: पढ़ें दलदल में फंसे हाथी की कथा, जो देती है मनोबल मजबूत करने की प्रेरणा

Motivational Story हम सब चुनौतियों से पार पा लेने की क्षमता अपने अंदर चाहते हैं। कई लोग शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर होते हैं लेकिन वे अपने मजबूत मनोबल के दम पर कठिन से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला सफलतापूर्वक करते हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 01:30 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 01:30 PM (IST)
Motivational Story: पढ़ें दलदल में फंसे हाथी की कथा, जो देती है मनोबल मजबूत करने की प्रेरणा
Motivational Story: पढ़ें दलदल में फंसे हाथी की कथा, जो देती है मनोबल मजबूत करने की प्रेरणा

Motivational Story: हम सब चुनौतियों से पार पा लेने की क्षमता अपने अंदर चाहते हैं। कई लोग शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर होते हैं, लेकिन वे अपने मजबूत मनोबल के दम पर कठिन से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला सफलतापूर्वक करते हैं। कई लोग शारीरिक तौर पर मजबूत होते हुए भी परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते हैं। परिस्थितियों से पार नहीं पाते, परिस्थितियां उन पर हावी हो जाती हैं। उनका मनोबल दुर्बल होता है। जागरण अध्यात्म में आज आप पढ़ें दलदल में फंसे एक हाथी की प्रेरक कथा।

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मनोबल का परिणाम

एक राज्य के राजा के पास एक बड़ा ही पराक्रमी हाथी था। युद्धों में उस पर ही बैठकर राजा ने तमाम राज्यों पर विजय पाई थी और अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया था। उस हाथी को इस तरह प्रशिक्षण दिया गया था कि युद्ध में शत्रु पक्ष के सैनिकों को देखते ही वह उन पर टूट पड़ता और शत्रु अवाक रह जाते और पीछे हट जाते। एक तरह से कहें तो वह हाथी उस राजा के लिए युद्ध में तुरूप का इक्का था।

एक ऐसा भी समय आया, जब हाथी बूढ़ा हो गया। राजा ने युद्ध के लिए नए युवा हाथियों को प्रशिक्षण देकर तैयार कर लिया। वह उपेक्षित होकर रह गया। अब उस पर पहले की तरह ध्यान नहीं दिया जा रहा था। उसके पौष्टिक भोजन में भी कमी कर दी गई। वह अशक्त और दुर्बल दिखने लगा था। कई बार उसे अपनी इस हालत पर तरस भी आती थी, लेकिन वह बेचारा करे भी तो क्या करे, उसका शरीर अब साथ नहीं देता था।

एक बार वह हाथी पानी पीने तालाब में गया। वहां की दलदल में उसका पैर धंस गया। उसने निकलने की लाख कोशिश की, तो उसके शरीर ने साथ नहीं दिया। वह गरदन तक कीचड़ में समा गया। इतने बड़े हाथी को आखिर निकाला कैसे जाए? हाथी के बच जाने की संभावना किसी को नहीं थी। राजा को जब घटना की बात पता चली, तो वे दुखी हो गए।

उन्होंने एक चतुर सैनिक से सलाह मांगी, तो उसने कहा कि महाराज, इस हाथी को निकालने का एक ही तरीका है कि इसके पास युद्ध का माहौल तैयार किया जाए। युद्ध के वाद्ययंत्र मंगवाए गए, नगाड़े बजवाये गए और ऐसा माहौल बनाया गया कि शत्रुओं के सैनिक राज्य की ओर बढ़ रहे हैं। यह देखकर हाथी में अचानक फुर्ती और साहस आ गया। उसने जोर से चिंघाड़ लगाई और सैनिकों की ओर दौड़ने लगा। इसी प्रयास में वह बाहर आ गया। बड़ी मुश्किल से उस पर काबू किया जा सका।

कथा का सार: शारीरिक ताकत भी उसी का साथ देती है, जिसके पास मनोबल होता है। कई बार हम मानसिक तौर पर कुछ परिस्थितियां स्वयं बना लेते हैं। उससे बचना चाहिए।


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