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Motivational Story: संगठन की ताकत की यह प्रेरक कहानी जीवन के लिए है बड़ी सीख, पढ़ें

Motivational Story एक आदमी था जो हमेशा ही संगठन में सक्रिय रहता था। कई बड़े लोग उससे परिचित थे। उसका मान-सम्मान भी लोगों के बीच बहुत ज्यादा था। लेकिन एक बार किसी कारण के चलते उसे संगठन से निष्क्रिय होना पड़ा।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 02:01 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 12:21 PM (IST)
Motivational Story: संगठन की ताकत की यह प्रेरक कहानी जीवन के लिए है बड़ी सीख, पढ़ें
Motivational Story: संगठन की ताकत की यह प्रेरक कहानी जीवन के लिए है बड़ी सीख, पढ़ें

Motivational Story: एक आदमी था जो हमेशा ही संगठन में सक्रिय रहता था। कई बड़े लोग उससे परिचित थे। उसका मान-सम्मान भी लोगों के बीच बहुत ज्यादा था। लेकिन एक बार किसी कारण के चलते उसे संगठन से निष्क्रिय होना पड़ा। उसने मिलना-जुलना भी बंद कर दिया और धीरे-धीरे संगठन से दूर हो गया।

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कुछ हफ्ते ऐसे ही बीत गए। एक ठंडी रात थी जिसमें संगठन ने मुखिया ने उस आदमी से मिलने का फैसला किया। वह उसके घर पहुंच गया। घर पर वह व्यक्ति अकेला ही था। वह बोरसी में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा था और आराम से आग ताप रहा था। उस व्यक्ति ने मुखिया का स्वागत किया लेकिन खामोशी के साथ।

दोनों ही चुपचाप बैठे रहे। दोनों ही आग की लपटों को ऊपर उठता देख रहे थे। कुछ ही समय बाद संगठन के मुखिया ने उस बोरसी में से एक लकड़ी को उठाकर अलग कर दिया और फिर से अपनी जगह पर आकर शांत बैठ गया। वह व्यक्ति यह दृश्य चुपचाप बैठा देख रहा था। वह लंबे समय से अकेला था तो मुखिया के घर आने के चलते मन ही मन आनंदित भी हो रहा था।

मुखिया ने जो लकड़ी वह आज अपने संगठन के लग निकालकर रखी थी उसकी आग धीरे-धीरे बुझ गई। कुछ ही देर में उसमें से आग की चमक भी खत्म हो गई। कुछ ही समय बाद जो लकड़ी के उज्ज्वल प्रकाश और आग की तपन खत्म हो गई और वह मात्र एक काला टुकड़ा बनकर रह गया।

इस बीच दोनों मित्र आप से में कम शब्दों में बातें कर रहे थे। जब मुखिया के जाने का समय हुआ तब उसने उस अलग पड़ी लकड़ी को हटाया और फिर से आग के बीच में रख दिया। इससे लकड़ी फिर से सुलगकर जलने लगी और अपना ताप बिखरने लगी। जब मुखिया के जाने का समय हुआ तो व्यक्ति उसे दरवाजे तक छोड़ने गया। व्यक्ति ने मुखिया से कहा कि वह उसके घर आए इसके लिए उनका बहुत धन्यवाद।

मुखिया ने बिना कुछ कहे ही व्यक्ति को एक बेहतरीन पाठ पढ़ाया। अकेले व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता। अगर वह संगठन के साथ होता है तो वह चमकता है। लेकिन संगठन से अलग होते ही वह बुझ जाता है। संगठन किसी भी तरह का हो सकता है जैसे पारिवारिक, सामाजिक, व्यापारिक, शैक्षणिक संस्थान, औद्योगिक संस्थान,

सांस्कृतिक इकाई, सेवा संस्थान आदि। 


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