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Motivational Story: जीवन में संगति को सोच-समझकर चुनना है बेहद जरूरी, पढ़ें यह कहानी

Motivational Story आज की प्रेरक कहानी इस सीख पर आधारित है कि जीवन में संगति का असर बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में हर किसी को अपनी संगति सोच-समझकर चुननी चाहिए। आइए पढ़ते हैं ये कहानी। एक बार एक राजा शिकार पर निकले।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 12:00 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 12:00 PM (IST)
Motivational Story: जीवन में संगति को सोच-समझकर चुनना है बेहद जरूरी, पढ़ें यह कहानी
Motivational Story: जीवन में संगति को सोच-समझकर चुनना है बेहद जरूरी, पढ़ें यह कहानी

Motivational Story: आज की प्रेरक कहानी इस सीख पर आधारित है कि जीवन में संगति का असर बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में हर किसी को अपनी संगति सोच-समझकर चुननी चाहिए। आइए पढ़ते हैं ये कहानी। एक बार एक राजा शिकार पर निकले। उनके साथ उनका काफिला भी मौजूद था। शिकार को ढूंढते हुए राजा और उसका काफिला जंगल से गुजर रहा था। लेकिन उन्हें दूर-दूर तक कोई शिकार नजर नहीं आ रहा था। राजा अपने काफिले के साथ धीरे-धीरे जंगल के अंदर प्रवेश कर रहा था। जैसे ही वो कुछ और अंदर गए उन्हें एक छिपने की जगह दिखाई दी। लेकिन वो जगह डाकुओं के छिपने की थी।

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जब वो उस गुफा के पास पहुंचे तो एक तोता बोला- पकड़ो पकड़ो! एक राजा आ रहा है जिसके पास बहुत सारा सामान है। जल्दी आओ और लूट लो सब। तोते ही आवाज सुन डाकुओं ने राजा की तरफ भागना शुरू किया। जैसे ही राजा और इसकी सेना ने डाकुओं को अपनी तरफ आते देखा तो वे भाग खड़े हुए। भागते-भागते वे कोसो दूर निकल गए।

काफी दूर आने के बाद उन्हें एक बड़ा-सा पेड़ दिखाई दिया। वे सभी उस पेड़ के पास चले गए। जब वो सभी उस पेड़ के पास पहुंचे तो वहां एक तोता बैठा था। वह तोता बोल पड़ा- आओ राजन हमारे साधु महात्मा की कुटी में आपका स्वागत है। आइए पानी पीजिए और आराम कर लीजिए।

इस तोते की यह बात सुन राजा बेहद हैरान हो गया। उसने सोचा की एक ही जाति के दो प्राणियों का व्यवहार इतना अलग कैसे है। राजा बेहद ही असमंजस में पड़ गया। उसने तोते की बात सुनी और अंदर कुटिया में चला गया। वहां बैठे साधु महात्मा को प्रणाम कर उन्होंने पूरी बात बताई। उन्होंने पूछा, “ऋषिवर इन दोनों तोतों के व्यवहार में आखिर इतना अंतर क्यों है।”

साधु ने पूरी बात सुनी और राजा से कहा कि ये कुछ नहीं राजन बस संगति का असर है। जो तोता डाकुओं के साथ रहता है उसकी भाषा और व्यवहार भी डाकुओं जैसा हो गया है। वहीं, जो तोता यहां रहता है उसका व्यवहार आदरणीय है। अर्थात जो जिस वातावरण में रहता है वह वैसा ही बन जाता है। ऐसे में व्यक्ति को हमेशा ही अपनी संगति को सोच-समझकर चुनना चाहिए। 


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