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Motivational Story In Hindi: शांति से सोचकर निकालें समस्या का हल, पढ़ें राज्य के उत्तराधिकारी की यह कहानी

Motivational Story In Hindi कई बार जीवन में हम ऐसी स्थितियों में फंस जाते हैं जिससे हमें छोटी-सी समस्या भी बड़ी लगने लगती है। लेकिन वास्तव में वो समस्या इतनी भी बड़ी नहीं होती है। हम उसमें उलझ जाते हैं और समस्या का समाधान नहीं कर पाते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 11:20 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 04:15 PM (IST)
Motivational Story In Hindi: शांति से सोचकर निकालें समस्या का हल, पढ़ें राज्य के उत्तराधिकारी की यह कहानी
शांति से सोचकर निकालें समस्या का हल, पढ़ें राज्य के उत्तराधिकारी की यह कहानी

Motivational Story In Hindi: एक पराक्रमी राजा था जिसकी कोई संतान नहीं थी। उसकी उम्र लगातार ढलती जा रही थी और वो अपने भावी उत्तराधिकारी को लेकर बेहद चिंतित था। उसने कई वैद्यों को दिखाया लेकिन उसे संतान सुख नहीं मिला। फिर उसने सोचा कि क्यों न अपने राज्य की भागदौड़ राज्य के ही किसी योग्य नवयुवक को सौंप दी जाए। इसके लिए राजा ने परीक्षण का आयोजन किया जिससे वो अपने भावी उत्तराधिकारी का चयन कर पाए।

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इस परिक्षण के लिए एक शानदार महल का निर्माण करवाया। महल के दरवाजा पर गणित का एक समीकरण लिखा गया और इसकी घोषणा पूरे राज्य में घोषणा कर दी गई। राज्य के सभी नवयुवकों को आमंत्रित किया गया। उनसे कहा गया कि वो इस दरवाजे को खोले। सभी नवयुवकों से कहा गया कि जो भी यह दरवाजा खोलने में सफल होगा उसे यह महल उपहार में दे दिया जाएगा। साथ ही राज्य का उत्तराधिकारी भी घोषित किया जाएगा।

इस घोषणा के बाद से ही महल के आगे नवयुवकों की भीड़ इक्ट्ठा हो गई। सुबह से शाम तक नवयुवक लगातार महल आते रहे। सभी उस गणित के सवाल का हल खोजने में लग गए। लेकिन कोई भी उस पहेली को हल नहीं कर पाया। कई लोगों ने उसे लिखा या याद किया और अपने घर वापस आकर हल निकालने की कोशिश करते लेकिन सभी असफल रहे।

इसी तरह कई दिन बीत चले। राज्य के बड़े से बड़े गणितज्ञ भी उस समीकरण का हल नहीं निकाल पाए। इसके बाद राजा ने दूसरे राज्यों से गणितज्ञों को आमंत्रित किया कि वो इसका हल निकालें। लेकिन समीकरण का हल नहीं मिला। दिन ढलने लगा और अंत में मात्र तीन लोग ही बचे। उनमें से दो दूसरे राज्य के गणितज्ञ थे। तो तीसरा गांव का एक आम सा युवक। दोनों गणितज्ञ समीकरण को हल करने की कोशिश में लगे थे। लेकिन वह युवक कोने में खड़ा था। तभी राजा उसे पाया आया और पूछा कि क्या तुम दरवाज़ेजे पर अंकित समीकरण हल नहीं करोगी।

युवक बोला ने कहा कि मैं तो यहां इन गणितज्ञों को देखने आया हूं। यह इतने बड़े गणितज्ञ हैं तो इन्हें समीकरण हल करने दीजिए। अगर इन्होंने समीकरण हल कर लिया तो ये राज्य के उत्तराधिकारी बन जाएंगे। वहीं, अगर नहीं कर पाए तो मैं कोशिश करूंगा। यह कहकर वो गणितज्ञों को देखने लगा जिसमें पूरा दिन निकल गया। लेकिन दोनों में से कोई भी इस समीकरण को हल नहीं कर पाए। फिर जब उन्होंने हार मान ली तो कोने में बैठा युवक उठकर दरवाजे के पास गया। उसने जाकर दरवाजे को धीरे से धक्का दिया और वह खुल गया।

यह देख सभी ने पूछा कि आखिर उसने दरवाजा कैसे खोला। तब युवक ने कहा कि जब मैं बैठकर सबको समीकरण हल करते देख रहा था तब मेरे दिमाग में आया कि दरवाजा खोलने का कोई समीकरण तो होता नहीं है। तो मैंने दरवाजे को धक्का दे दिया। दरवाजा खुल भी गया। दरवाजा खोलने का कोई समीकरण था ही नहीं।

यह देख सभी बेहद प्रसन्न हुए और उस युवक को राजा ने वह महल दे दिया। साथ ही राज्य का भावी उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया।

सीख: कई बार जीवन में हम ऐसी स्थितियों में फंस जाते हैं जिससे हमें छोटी-सी समस्या भी बड़ी लगने लगती है। लेकिन वास्तव में वो समस्या इतनी भी बड़ी नहीं होती है। हम उसमें उलझ जाते हैं और समस्या का समाधान नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हमें ठंडे दिमाग से सोचने की जरूरत होती है। समस्या का समाधान अपने आप ही निकल जाता है या फिर थोड़े से प्रयास के बाद मिल जाता है। ऐसे में शांति से सोचे और फिर समाधान करने का प्रयास करें। 


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