Motivational Story in Hindi: कंजूसी और फिजूलखर्ची दरिद्रता के संकेत, पढ़ें पिता और उसके दो बेटों की यह कहानी
Motivational Story in Hindi आज की कहानी इस सार पर आधारित है कि धन का महत्व बहुत ज्यादा है और इसका संतुलन के साथ इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। तो आइए पढ़ते हैं यह प्रेरक कहानी। एक व्यक्ति था जिसके दो बेटे थे।
Motivational Story in Hindi: आज की कहानी इस सार पर आधारित है कि धन का महत्व बहुत ज्यादा है और इसका संतुलन के साथ इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। तो आइए पढ़ते हैं यह प्रेरक कहानी। एक व्यक्ति था जिसके दो बेटे थे। दोनों का ही स्वभाव एक-दूसरे से अलग था। जहां एक बेटा बेहद कंजूस था। वहीं, दूसरा बहुत फिजूलखर्ची करता था। उनका पिता अपने दोनों ही बेटों से बेहद दुखी था। पिता ने कई बार कोशिश की कि वो उन्हें समझा सकते लेकिन उनका स्वभाव ज्यों का त्यों ही रहा।
फिर एक दिन पिता को पता चला कि उनके गांव में एक महात्मा आए हैं जो बेहद ही सिद्ध हैं। वो सिद्ध महात्मा के पास पहुंचे। उन्हें लगा कि वो उनके पुत्रों को समझा सके। उसने महात्मा को सब बताया। महात्मा ने कहा कि वो अपने बेटों को लेकर उसके पास आए। वो उनसे बात करेंगे।
अगले ही दिन वो अपने बेटों को लेकर महात्मा के पास पहुंचा। उसने अपने दोनों बेटों को महात्मा के पास बिठा दिया। महात्मा ने अपने दोनों हाथों की मुठ्ठियां बंद की और उन्हें दिखाते हुए पूछा कि अगर मेरे हाथ ऐसे हो जाएं तो क्या होगा।
दोनों पुत्रों ने कहा कि ऐसा लगेगा कि आपको कोढ़ है। फिर महात्मा ने अपनी मुठ्ठी खोली। उन्होंने हथेली फैलाकर कहा कि अगर मेरे हाथ ऐसे हो जाए तो क्या होगा। दोनों पुत्रों ने जवाब दिया कि अब भी लगेगा कि आपको कोढ़ है।
दोनों उत्तर सुनकर महात्मा गंभीर हो गए। उन्होंने दोनों को समझाते हुए कहा कि अपनी मुठ्ठी सदा बंद रखना या सदा खुली रखना, कोढ़ ही है। अगर मुठ्ठी बंद रखी जाए तो धनवान होते हुए भी गरीब हो जाओगे। वहीं, अगर मुठ्ठी सदा खुली रखोगे तो कितने भी धनवान को निर्धन हो जाओगे। इसलिए कभी मुठ्ठी बंद तो कभी खुली रखनी चाहिए। इससे जीवन में संतुलन बना रहेगा। महात्मा की बात पुत्रों का समझ आ गई। उन्होंने धन पर नियंत्रण किया और संतुलन बनाया।
सीख: जीवन में धन का महत्व बहुत ज्यादा है। ऐसे में इसे सोच-समझकर खर्च करना बेहद जरूरी है। ज्यादा कंजूसी और ज्यादा फिजूलखर्ची ठीक नहीं होती है। दोनों ही दरिद्रता का संकेत हैं। धन होते हुए भी दरिद्रता और धन चले जाने से दरिद्रता।