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Motivational Story: जब एक वृद्धा ने विद्वान राज-ज्योतिषी को सिखाया जीवन का बड़ा सबक, पढ़ें यह प्रेरक कथा

Motivational Story यह यूनान की एक प्राचीन बोध-कथा है जिसमें व्यक्ति के सचेत रहने को एक अच्छा गुण बताया गया है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 02:21 PM (IST)
Motivational Story: जब एक वृद्धा ने विद्वान राज-ज्योतिषी को सिखाया जीवन का बड़ा सबक, पढ़ें यह प्रेरक कथा
Motivational Story: जब एक वृद्धा ने विद्वान राज-ज्योतिषी को सिखाया जीवन का बड़ा सबक, पढ़ें यह प्रेरक कथा

Motivational Story: यह यूनान की एक प्राचीन बोध-कथा है, जिसमें व्यक्ति के सचेत रहने को एक अच्छा गुण बताया गया है। ​यदि आप लाख विद्वान हों, आपके पास दुनिया भर का ज्ञान हो, लेकिन आप सचेत नहीं हैं तो आपको कोई भी सामान्य व्यक्ति बुद्धिमानी की बात बता सकता है या फिर आप पर कटाक्ष कर सकता है। व्यक्ति को सचेत रहना क्यों जरूरी है, इसको जानने के लिए पढ़ें यह प्रेरक कथा।

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एक राज्य में एक राज-ज्योतिषी थे, जो भविष्यवाणी करने के लिए रात भर जागकर ग्रहों (सितारों) का अध्ययन करते रहते थे। उस राज्य में उनकी बड़ी चर्चा थी। एक दिन वह रात के अंधेरे में आसमान की तरफ तारों को देखते हुए कहीं जा रहे थे। उनका ध्यान जमीन की चीजों पर नहीं था और न ही वह अपने मार्ग के बारे में सचेत थे। चलते-चलते वे अचानक एक गहरे गड्ढे में गिर पड़े।

कुछ गिरने का आवाज सुनकर पास ही एक झोपड़ी में रहने वाली एक वृद्धा मदद करने वहां पहुंच गईं। उसने देखा कि गड्ढे में राज-ज्योतिषी गिरे हुए हैं। वह तुरंत घर से रस्सी लाई और राज-ज्योतिषी को गढ्डे से सकुशल बाहर निकाल ली। वृद्धा की दया और मदद की भावना से राज-ज्योतिषी बड़े ही प्रभावित हुए। वे वृद्धा पर बहुत खुश हुए।

लेकिन वे थे तो राज-ज्योतिषी ही। उनके अंदर अपने पद का घमंड और अकड़ भरपूर था। गढ्डे में गिरने और मदद पाकर सकुल बाहर आने पर भी उनकी अकड़ नहीं गई थी। उसने उस वृद्ध महिला से कहा कि यदि तुमा नहीं आती तो वे गढ्डे में ही मर जाते। उन्होंने वृद्धा से अपना परिचय देते हुए कहा कि वे एक राज-ज्योतिषी हैं और राजाओं का भविष्य बताते हैं। इसके लिए उनको स्वर्ण मुद्राएं एवं पुरस्कार भी मिलते हैं, लेकिन वे मुफ्त में ही तुम्हारा भविष्यफल बताएंगे।

राज-ज्योतिषी की बात सुनकर वह वृद्ध महिला बहुत हंसीं और बोलीं, 'यह सब रहने दो बेटा! तुम्हें अपने दो कदम आगे के गढ्डे का तो कुछ पता नहीं है, मेरा भविष्य तुम क्या बताओगे?

कथा-मर्म

जो व्यक्ति सचेत नहीं है, उसकी विद्वता भी किसी काम की नहीं होती।


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