Motivational: सबसे बुरा रोग, क्या कहेंगे लोग
जागरण आध्यात्म के इस लेख में आज कुछ मोटिवेशनल कोट्स आपतक पहुंचा रहे हैं ताकि आप कर सकें अपने दिन की बेहतर शुरुआत।
Motivational: दुनिया क्या सोचे, ये मैं क्यूं सोचूं
अगर मैं ये सोचूं, तो फिर दुनिया क्या सोचे।
कहीं पढ़ी थी ये पंक्तियां। अच्छी लगी। वाकई में हम आधी जिंदगी तो बहुत से काम ये सोच कर नहीं करते कि दुनिया क्या सोचेगी। लोग क्या कहेंगे। मोरारी बापू अपनी रामकथा के वक्त एक बात जरूर कहते हैं,
सबसे बुरा रोग
क्या कहेंगे लोग
ये लोग क्या कहेंगे के घेरे से बाहर आना पड़ेगा। कोरोना के इस काल ने तो साबित कर दिया है कि बुरे वक्त पर कोई काम नहीं आएगा। कोरोना पीड़ित लोगों को परिवार वाले तक हाथ नहीं लगा सकते। ऐसे वक्त में दुनिया का हवाला देख कर काम से बचने वालों के लिए बड़ा सबक है कि दुनिया के भरोसे मत रहिए। जागरण आध्यात्म के इस लेख में आज कुछ मोटिवेशनल कोट्स आपतक पहुंचा रहे हैं ताकि आप कर सकें अपने दिन की बेहतर शुरुआत।
कहा गया है कि
बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं
क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी
जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं।
बिलकुल सही। अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहिए। मंजिल जरूर मिलेगी। समस्याओं का रोना रोने वालों के लिए ये पंक्तियां सटीक हैं-
जब तक आप अपनी समस्याओं और कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते हैं, तब तक आप अपनी समस्याओं और कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते।
गलतियों से मत घबराइए। गलती वही करेगा जो काम करेगा। क्या खूब कहा गया है-
महानता कभी न गिरने में नहीं बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है।
दूसरे से ईर्श्या करना बिलकुल ठीक नहीं। कभी किसी से तुलना मत कीजिए। तुलना पर ये कोट गजब का है-
जिंदगी में किसी से अपनी तुलना मत करो जैसे चांद और सूरज की तुलना किसी से नहीं की जा सकती क्योकि यह अपने समय पर ही चमकते हैं।
हमें कैसा होना चाहिए। हमारा आचरण कैसा होना चाहिए। ये हम इन पंक्तियों से जान सकते हैं।
आप हमेशा इतने छोटे बनिये की
हर व्यक्ति आपके साथ बैठ सके,
और आप इतने बड़े बनिये की
आप जब उठे तो कोई बैठा न रहे
हमारा व्यक्तित्व कैसा हो। इस पर भी चलते चलते इन पंक्तियों के जरिए नजर डालते हैं।
इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मजा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये।