Motivational: गुरु है तो फिर सारा संसार आपका है
गुरु महान है। गुरु की महिमा अपरम्पार कही जाती है। ब्रहस्पति को सभी देवताओं के गुरु मानकर पूजा जाता है। आज गुरुवार के दिन जागरण आध्यात्म के इस लेख में हम जानते हैं कि गुरु के लिए दुनिया के बड़े बड़े लोगों ने क्या कहा है।
गुरु महान है। गुरु की महिमा अपरम्पार कही जाती है। ब्रहस्पति को सभी देवताओं के गुरु मानकर पूजा जाता है। आज गुरुवार के दिन जागरण आध्यात्म के इस लेख में हम जानते हैं कि गुरु के लिए दुनिया के बड़े बड़े लोगों ने क्या कहा है। क्या है गुरु के प्रति उनके उद्गार।
कबीरदास जी कहते हैं कि गुर की महानता असीम है। जिस प्रकार कीट भृंग को नहीं जानता, परंतु भृंग अपनी कुशलता से उस कीडे को अपने समान बना लेता हा, अपने शब्द स्वर की लय से भृंग कीट में अपने सा गुण भर देता है, उसी प्रकार गुरु की ज्ञान प्रभाव से अपने शिष्य को अपने समान बना लेते हैं।
कबीर एक अन्य उदाहरण में लिखते हैं कि गुरु और गोबिंद को एक समान समझिए। ये दोनों एक ही हैं। ऐसा जानकर गुरु ने ज्ञान उपदेश दिया है। उसी के क्षेत्र में रहना चाहिए। जैसे ही गुरु का मिलन हो, दंडवत बंदगी करनी चाहिए। परंतु यदि ऐसा न हो तो गुरु का प्रतिक्षण ध्यान करना चाहिए। गुरु स्मरण से ध्यान पवित्र बना रहता है।
जातक कथाओं में जो गुरु महिमा का बखान है उसमें लिखा गया है- जो वर्णाश्रम से ऊपर उठ जाता है, वह सदगुरु कहलाता है। वही मानव का हित कर सकता है। उसे आप और हम गुरु के रूप में जानते हैं। पर गुरु का भी दायित्व है कि उसे जो बड़ा मुकाम दिया गया है, वो उस पर खरा उतर कर अपने शिष्यों के जीवन का उद्धार करें।
शेख सादी के शब्दों में- गुरु की डांट डपट पिता के प्यार से अच्छी है। वहीं अगर मीरा के कहे शब्दों को समझें तो गुरु का स्वरूप कुछ यूं समाने आता है- गुरु मोक्षद्वार के द्वारपाल हैं। प्रभु से मिलना है तो गुरु का आलम्ब होना आवश्यक है। सही ही तो कहा है क्योंकि गुरु परमात्मा का रूप है। गुरु अंतर्मन से झांकने हेतु सक्षम दृष्टि रखता है।