Move to Jagran APP

Mattu Pongal 2021: आज है पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल, जानें इसका इतिहास

Mattu Pongal 2021 पोंगल का त्यौहार चार दिन तक चलता है। यह त्यौहार भारत के तमिलनाडु केरल और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्यौहार किसानों का प्रमुख त्यौहार कहलाता है। धान की फसल कटने की खुशी में किसान यह त्यौहार बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 09:45 AM (IST)
Mattu Pongal 2021: आज है पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल, जानें इसका इतिहास
Mattu Pongal 2021: आज है पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल, जानें इसका इतिहास

Mattu Pongal 2021: पोंगल का त्यौहार चार दिन तक चलता है। यह त्यौहार भारत के तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्यौहार किसानों का प्रमुख त्यौहार कहलाता है। धान की फसल कटने की खुशी में किसान यह त्यौहार बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार सूर्य और इंद्रदेव को समर्पित होता है। मान्यता है कि इनकी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करने से किसानों पर कृपा बनी रहती है। किसान अच्छी बारिश और बेहतर फसल की प्रार्थना करते हैं। आज पोंगल का तीसरा दिन है। आज का दिन मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं क्या है मट्टू पोंगल।

loksabha election banner

क्या है मट्टू पोंगल:

मट्टू बैल को कहा जाता है। इसका संबंध शिव जी के वाहन नंदी से है। इस दिन बैल की पूजा की जाती है। वास्तव में इस दिन पशु धन को पूजा जाता है। किसान के जीवन में बैल बेहद ही महत्वपूर्ण अंग है। ऐसे में बैल की पूजा इस दिन किसानों द्वारा की जाती है। इस दिन विशेषकर चावल की उत्तम फसल की कामना की जाती है।

मट्टू पोंगल की कथा:

प्राचीन काल में एक बार ऐसा हुआ था कि नंदी से कोई भूल हो गई थी और भोलेनाथ उनसे रुष्ट हो गए थे। शिव जी ने नंदी को दंडित करने का निश्चय किया। शिव जी ने नंदी से कहा कि वो धरती पर जाएं और मनुष्यों की मदद करे। इसी की याद में आज के दिन मट्टु पोंगल का पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तभी से नंदी पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य में मनुष्य की अन्न उपजाने में मदद कर रहा है।

जानें कैसे मनाते हैं मट्टू पोंगल:

मट्टू पोंगल के दिन बैलों को स्नान करया जाता है और उन्हें सजाया जाता है। बैल की सींगों में तेल लगाते हैं और उन्हें नई घंटियां बांधकर सुंदर वस्त्र पहनाते हैं। इस दिन मुख्यत: पशुओं को साफ कर उनकी पूजा की जाती है। बैल के साथ-साथ गाय और बछड़े की भी पूजा की जाती है। लोग अपने घरों के दरवाजे पर रंगोली भी सजाते हैं। साथ ही बैलों को चावल, गन्ने, हल्दी और अदरक जैसी चीजें खाने के लिए दी जाती हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।' 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.