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Malmaas 2020: आज से शुरू हुआ मलमास, जानें क्या है इसका महत्व

Malmaas 2020 आज से मलमास यानी अधिकमास शुरू हो गया है। इस वर्ष अश्विन मास में ही अधिमास लग रहा है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 06:00 AM (IST)
Malmaas 2020: आज से शुरू हुआ मलमास, जानें क्या है इसका महत्व
Malmaas 2020: आज से शुरू हुआ मलमास, जानें क्या है इसका महत्व

Malmaas 2020: आज से मलमास यानी अधिकमास शुरू हो गया है। इस वर्ष अश्विन मास में ही अधिमास लग रहा है। बता दें कि जिस महीने में सूर्य संक्रान्ति नहीं होती है उसी महीने को अधिमास या मलमास कहा जाता है। यह 32 महीने, 16 दिन और 4 घटी के अन्तर से आता है। इस वर्ष आश्विन मास में ही अधिमास लग रहा है। यह 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा। इस माह का अपना महत्व होता है। साथ ही इस मास में दान करने का भी अलग ही महत्व होता है। आइए ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री से जानते हैं कि मलमास या अधिकमास का महत्व क्या होता है और इस दौरान दान करने से क्या फल मिलता है।

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अधिकमास का महत्व:

हिंदू धर्म के मुताबिक, प्रत्येक जीव-जंतु पंचमहाभूतों से मिलकर बने हैं। इनमें जल, अग्नि, आकाश, वायु और पृथ्वी सम्मिलित हैं। अपनी प्रकृति के अनुरूप ही ये पांचों तत्व प्रत्येक जीव की प्रकृति न्यूनाधिक रूप से निश्चित करते हैं। अधिकमास में समस्त धार्मिक कृत्यों, चिंतन- मनन, ध्यान, योग आदि के जरिए व्यक्ति अपने शरीर में समाहित इन पांचों तत्वों में संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर सकता है। ऐसे में अधिकमास के दौरान किए गए सभी प्रयासों से व्यक्ति हर तीन साल में स्वयं को बाहर से स्वच्छ कर परम निर्मलता को प्राप्त करता और स्वयं में नई उर्जा से भरता है।

अधिक मास में दान का महत्व:

अधिक मास में दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दौरान दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही धार्मिक पुस्तकों का दान भी इस दौरान शुभ बताया गया है। अधिक मास के प्रथम दिन प्रतिपदा तिथि होती है। इस दिन घी का दान करना श्रेष्ठ फलदायी होता है।

अधिकमास में ये काम करने होते हैं उचित:

इस माह में श्रद्धालु व्रत-उपवास, पूजा-पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, मनन करते हैं। पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार, इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवी भागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी माना गया है। इस मास के स्वामी विष्णु जी होते हैं। ऐसे में इस माह में विष्णु मंत्रों का जाप करना विशेष लाभकारी होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे विष्णु जी का आशीर्वाद मिलता है।  


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