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Makar Sankranti 2019: धर्म ही नहीं वैज्ञानिक कारणों से भी खास है ये पर्व

14 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जानें हमारी आस्था से गहरे जुड़े इस पर्व के मनाने के वैज्ञानिक पक्ष के बारे में।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 11:42 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 09:32 AM (IST)
Makar Sankranti 2019: धर्म ही नहीं वैज्ञानिक कारणों से भी खास है ये पर्व
Makar Sankranti 2019: धर्म ही नहीं वैज्ञानिक कारणों से भी खास है ये पर्व

ऋतु परिवर्तन के चलते होने वालों प्रभावों से जुड़ा पर्व

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हिंदु मान्यताआें के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव मकर राशि में 14 जनवरी 2019 को सांयकाल 8 बजकर 04 मिनट पर प्रवेश करेंगे, आैर तब से प्रारंभ होगा Makar Sankranti 2019 का उत्सव। इसका संबंध केवल धर्मिक आस्थाआें से ही नहीं है ऋतु परिवर्तन और कृषि से भी है। इसके अलावा इसके बाद से ही दिन आैर रात दोनों बराबर होते हैं। वैसे तो सभी राशियां सूर्य से प्रभावित होती हैं, किन्तु कर्क और मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश अत्यन्त शुभ होने के साथ लाभकारी माना जाता है।

एेसे पड़ता है प्रभाव

मकर संक्रांति के साथ ही नदियों में वाष्पन क्रिया प्रारंभ हो जाती है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसके साथ ही इस समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है। यह वैज्ञानिक सत्य है कि उत्तरायण में सूर्य का ताप शीत के प्रकोप को कम करता है। इस मौसम में तिल आैर गुड़ खाना सेहत के लिए अच्छा होता है। यह दोनों चीजें सर्दी में शरीर को गर्म रखती हैं।

खिचड़ी के फायदे

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय सौर मास कहलाता है जिसका प्रांरंभ मकर संक्राति से होता है। इस पर्व पर खिचड़ी बना कर खाने का बहुत महत्व है। खिचड़ी खाने का भी एक वैज्ञानिक कारण है क्योंकि ये पाचन को दुरुस्त रखती है। कहते हैं कि अगर अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनार्इ जाये तो यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।

आयुर्वेद में भी है विशेष महत्व

आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि इस मौसम में चलने वाली ठण्डी हवा शरीर में कर्इ बीमारियों को पैदा करने की वजह बन सकती है। यही वजह है कि इस अवसर पर तिल आैर गुड़ से बनने वाली मिठार्इयों को बनाने आैर प्रसाद रूप के खाने की व्यवस्था की गर्इ है। इनसे शरीर को गर्मी आैर प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त होती है। इसके अलावा इस पर्व में प्रयोग किए जाने वाले घी, तेल, तिल, गुड़, गन्ना, आदि के साथ घाटों पर स्नान करने के रूप धूप और गर्म पानी के सेवन का भी आयुर्विज्ञान महत्व है।


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