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Lakshmi Pujan: शुक्रवार की शाम करें इस महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ, होगी सुख-समृद्धि की प्राप्ति

अगर आप धन की देवी (Lakshmi Pujan) को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको शुक्रवार का उपवास रखना चाहिए। साथ ही विधि-विधान के साथ मां की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं उन्हें कभी किसी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा इस दिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ भी बेहद शुभ माना गया है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Fri, 19 Apr 2024 12:59 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2024 12:59 PM (IST)
Goddess Lakshmi Pujan: महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Goddess Lakshmi Pujan: शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का होता है। इस दिन मां की विशेष पूजा-अर्चना करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप धन की देवी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको शुक्रवार का उपवास रखना चाहिए। साथ ही विधि-विधान के साथ मां की पूजा करनी चाहिए।

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मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं उन्हें कभी किसी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा इस दिन 'महालक्ष्मी स्तोत्र' का पाठ भी बेहद शुभ माना गया है, तो आइए यहां पढ़ते हैं -

।।महालक्ष्मी स्तोत्र।।

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

।।वैभव लक्ष्मी आरती।।

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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