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महाभारत, पद्मपुराण, विष्णुस्मृति में मौजूद हैं साफ-सफाई से जुड़े ये श्लोक

महाभारत पद्मपुराण और विष्णुस्मृति जैसे ग्रंथों में साफ-सफाई को लेकर कुछ श्लोक दिए गए हैं। अगर हम इन बातों पर ध्यान दें तो अपनी साफ-सफाई का ध्यान रख सकते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 09:00 AM (IST)
महाभारत, पद्मपुराण, विष्णुस्मृति में मौजूद हैं साफ-सफाई से जुड़े ये श्लोक
महाभारत, पद्मपुराण, विष्णुस्मृति में मौजूद हैं साफ-सफाई से जुड़े ये श्लोक

कोरोना महामारी पूरे देश समेत पूरी दुनिया में फैली हुई है। इसके चलते लोग घर से बाहर निकलने से भी डर रहे हैं। अगर कोई जरूरी काम होता है तो ही लोग घरों से बाहर जा रहे हैं। हालांकि, अब दफ्तर समेत बाकी की कुछ जगहें पहले जैसे खोली जाने लगी हैं। हालांकि, इसके लिए कई एहतियात बरते जा रहे हैं। इस दौरान हर कोई अपनी सेहत का खास ध्यान रख रहा है। जाहिर है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए सफाई होना बेहद जरूरी है। साफ-सफाई को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में भी कई नियम बताए गए हैं। उदाहरण के तौर पर बार-बार हाथ धोना, दूसरों के कपड़े या किसी भी चीज के इस्तेमाल से बचना, बाहर से घर वापस आने के बाद स्नान करना आदि। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, महाभारत, पद्मपुराण और विष्णुस्मृति जैसे ग्रंथों में साफ-सफाई को लेकर कुछ श्लोक दिए गए हैं। अगर हम इन बातों पर ध्यान दें तो अपनी साफ-सफाई का ध्यान रख सकते हैं। आइए पढ़ते हैं ये श्लोक:

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विष्णु स्मृति में शमशान को लेकर एक श्लोक वर्णित है:

चिताधूमसेवने सर्वे वर्णा:

स्नानम् आचरेयु:।

अर्थात् शमशान में जाने के बाद घर लौटकर नहाना बहुत जरूरी है।

पद्मपुराण में हाथ-मुंह धोने को लेकर श्लोक वर्णित है:

हस्तपादे मुखे चैव

पंचार्द्रो भोजनं चरेत्

अर्थात् हाथ, पैर और मुंह धोकर ही भोजना करना चाहिए।

पद्मपुराण में दूसरों के स्नान वाली चीजें इस्तेमाल न करने को लेकर श्लोक वर्णित है:

न धारयेत् परस्यैवं

स्नानवस्त्रं कदाचन।

अर्थात् स्नान के बाद दूसरों के स्नान वस्त्र यानी टॉवल का उपयोग नहीं करना चाहिए।

विष्णु स्मृति में बिना धोए कपड़ों को पहनने को लेकर भी एक श्लोक वर्णित है:

न अप्रक्षाख्ंति पूर्वधृतं

वसनं बिभृयात्।

अर्थात् पहने हुए कपड़ों को बिना धोए वापस नहीं पहनना चाहिए। कपड़ों को धोकर ही पहनें।

महाभारत, अनुशासन पर्व में दूसरों के पहने कपड़ों को न पहनने को लेकर श्लोक वर्णित है:

तथा न अन्यधृंत धार्यम्।

अर्थात् दूसरों के पहने हुए कपड़े नहीं पहनने चाहिए। 


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