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Life Management Mantra: किताब-कॉपी के गिरने पर माथे से क्यों लगाते हैं? जानें यहां

Life Management Mantra गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहते हैं। इस दिन को भगवान बृहस्पति के अलावा मां शारदा का दिन भी कहा जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 03:56 PM (IST)
Life Management Mantra: किताब-कॉपी के गिरने पर माथे से क्यों लगाते हैं? जानें यहां
Life Management Mantra: किताब-कॉपी के गिरने पर माथे से क्यों लगाते हैं? जानें यहां

Life Management Mantra: गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहते हैं। इस दिन को भगवान बृहस्पति के अलावा मां शारदा का दिन भी कहा जाता है। बचपन से ही हम स्कूल में प्रार्थना करते बड़े होते हैं- हे शारदे मां, हे शारदे मां, विद्या का हमको वरदान दे मां। तू स्वर की देवी है संगीत तुझसे, हर स्वर तेरा है हर गीत तुझ से। 

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मुझे लगता है गिने चुने लोग ही ऐसे होंगे, जिन्होंने बचपन में स्कूल में सरस्वती वंदना न की हो। बल्कि एक आदत तो बचपन से आज तक हम लिए चले आ रहे हैं, किताब- कॉपी को मां सरस्वती का रूप समझना। तभी तो किताब-कॉपी के पैर लग जाने पर उसे माथे से लगाया जा सकता है।

दरअसल ये विद्या को नमन करने के हमारे तरीके हैं। हम भारत देश के वासी हैं और हम हर चीज में ईश्वर का स्वरूप ढूंढते हैं। खाना खाने से पहले अन्न की पूजा की जाती है। पढ़ते वक्त किताब-कॉपी की पूजा मां सरस्वती को नमन करके की जाती है। ये सब आस्था का सबब है। जहां आस्था है, वहां पीछे का कारण नहीं ढूंढ़ा जाता। इससे जुड़ा एक किस्सा सुनिए। 

विवेकानंद एक बार एक राजा के दरबार में आमंत्रित किए गए। राजा को ये बताया गया कि ये बहुत बड़े विद्वान हैं। राजा ने उनका उपहास उड़ाने की सोची और स्वामी के आने पर ऐसा किया भी। मूर्ति पूजा को लेकर उन्हें ढोंगी कहा गया। विवेकानंद मुस्कुराए। उन्होंने भांप लिया कि ये सब अहंकारवश राजा का बुना खेल है। 

विवेकानंद ने एक दरबारी से उनके महाराज की तस्वीर लाने को कहा। उपहास उड़ाने वाले मंत्री को कहा कि उस पर थूक दे। वफादार मंत्री तलवार निकालकर हमला करने की मुद्रा में आ गया। तब विवेकानंद ने मुस्कुराकर कहा, यही आस्था भगवान की मूर्तियों में उनके भक्त ढूंढते हैं। 

सार यही है कि किसी की भक्ति को चैलेंज मत कीजिए। भक्त की आस्था सर्वोपरि है। अब अगर कोई बच्चा या बड़ा किताब गिरने पर उसे माथे पर लगाए तो हंसिए नहीं, ये आस्था का सवाल है।

- अमित शर्मा


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