भगवान विष्णु के वचनों का संग्रह है विष्णु पुराण
एक आर्दश जीवन कैसा हो इस बारे में बताता है विष्णु पुराण जिसे स्वंय भगवान विष्णु के वचनो का संग्रह माना जाता है।
विष्णु के समस्त अवतारों से संबंधित
हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण का अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि यह ग्रंथ मुख्य तौर पर भगवान विष्णु और उनके समस्त अवतारों से संबंधित पौराणिक ग्रंथ है। ये भी मान्यता है कि यह स्वयं भगवान विष्णु के वचनों का संग्रह है, जो उन्होंने अपनी अर्धांग़िनी, माता लक्ष्मी, अपने वाहन गरुण और नारद से कहे थे। कहते हैं कि विष्णु पुराण में लिखी बातें कलियुग में बहुत कारगर साबित हो सकती हैं,यदि इन्हें भली प्रकार से आत्मसात किया जाए तो यह मानव के जीवन में मौजूद परेशानियों और तनाव का आर्दश हल बता सकती हैं। विष्णु पुराण की रचना महर्षि वेद व्यास द्वारा की गई है, जिसमें सही-गलत जैसी बातों का उल्लेख है और साथ ही जीवन को सही और धार्मिक मार्ग पर कैसे चलाया जा सकता है इस बात का उल्लेख भी है।
कुछ बातों का रखें विशेष ख्याल
विष्णु पुराण के अनुसार जो व्यक्ति दूसरों के विषय में सोचता है और स्वार्थ से बिल्कुल दूर है, वही व्यक्ति कलियुग में सफलता प्राप्त कर सकता है। साथ ही इस ग्रंथ में व्यवसाय और जीवन मूल्यों का सुंदर समन्वय भी इस ग्रंथ में मौजूद है। जैसे विष्णु पुराण में कुछ ऐसी वस्तुओं का जिक्र है जिन्हें किसी भी हाल में बेचा नहीं जाना चाहिए। आप गरीबी के हालातों से भले ही जूझ रहे हों, लेकिन अगर आप इन्हें बेचते हैं तो यह आपके लिए पाप माना जाना जाएगा। इनमें भूखे और गरीबों से फल-सब्जियों जैसी आवश्यक चीजों का मूल्य लेना वर्जित है। इसी तरह गरीब व्यक्ति को नमक बेचना अपराध है, और उसका दान करना उत्तम है। किसी जरूरतमंद या असहाय व्यक्ति को दवाइयां बेचना और उससे पैसे कमाना अपराध है। हिन्दू धर्म में कुछ खाद्य पदार्थों को अत्याधिक शुभ और पवित्र माना गया है। इन्हें किसी भी रूप में बेचा नहीं जा सकता, विष्णु पुराण के अनुसार धन के लालच में गुड़ को कभी नहीं बेचना चाहिए। इसके अलावा सफेद तिल को बेचना भी हिन्दू धर्म के अनुसार सही नहीं है।