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Kumbh 2019: यह 8 कुंभ मनुष्‍य नहीं मना सकते हैं

मान्यता है कि कुल कुंभ की संख्या है 12 परंतु केवल 4 ही मनाये जाते हैं शेष 8 कुंभ मनुष्य नहीं मना सकता आखिर क्या है इसका रहस्य।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 10:33 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 09:32 AM (IST)
Kumbh 2019: यह 8 कुंभ मनुष्‍य नहीं मना सकते हैं
Kumbh 2019: यह 8 कुंभ मनुष्‍य नहीं मना सकते हैं

देव लोक आैर भूलोक के अंतर के बीच छुपा है रहस्य

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पौराणिक कथाआें के अनुसार अमृत प्राप्ति के लिए देव-दानवों में लगातार बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ था। ज्योतिष बताती है कि देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के बराबर होते हैं। इसी लिए कुंभ भी बारह ही होते हैं, परंतु उनमें से सिर्फ चार पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ देवलोक में होते हैं। इन का लाभ देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं, मनुष्यों नहीं।

एेसे होती है गणना

कुंभ की गणना एक विशेष विधि से होती है जिसमें गुरू का अत्यंत महत्व है। नियमानुसार गुरू एक राशि लगभग एक वर्ष रहता है। यानि बारह राशियों में भ्रमण करने में उसे 12 वर्ष की अवधि लगती है। यही कारण है प्रत्येंक बारह साल बाद कुंभ उसी स्थान पर वापस आता है अर्थात प्रत्येेक बारह साल में कुंभ आयोजन स्थल दोहराया जाता है। इसी प्रकार गणना के अनुसार कुंभ के लिए निर्धारित चार स्थानों में अलग-अलग स्थान पर हर तीसरे वर्ष कुंभ का अयोजन किया जाता है। कुंभ के लिए निर्धारित चारों स्थानों में प्रयाग के कुंभ का विशेष महत्व होता है। हर 144 वर्ष बाद यहां महाकुंभ का आयोजन होता है क्योंकि देवताओं का बारहवां वर्ष पृथ्वी लोक के 144 वर्ष के बाद आता है।

राशि परिवर्तन से जुड़ा है कुंभ

पौराणिक विश्वास के साथ ही ज्योतिषियों के मतानुसार कुंभ का महत्व बृहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश तथा सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ भी जुड़ा है। ग्रहों की बदलती स्थिति ही कुंभ के आयोजन का आधार बनती है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी अर्ध कुंभ के काल में ग्रहों की स्थिति एकाग्रता तथा ध्यान साधना के लिए उत्कृष्ट होती है।


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