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क्यों परम ब्रह्म के तुल्य मानी जाती हैं देवी दुर्गा

देवी दुर्गा को परम ब्रह्म के समान ही माना जाता हैं क्या आप जानते हैं माता आदि शक्ति आैर उनकी उपासना का इतना महत्व क्यों हैं।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 03:47 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 03:00 AM (IST)
क्यों परम ब्रह्म के तुल्य मानी जाती हैं देवी दुर्गा
क्यों परम ब्रह्म के तुल्य मानी जाती हैं देवी दुर्गा

परम ब्रह्म हैं देवी

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मां दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें आदि देवी और शक्ति भी कहते हैं। शाक्त सम्प्रदाय की ये मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से भी की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञान रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली कल्याणकारी शक्ति हैं। दुर्गा जी के बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म का विनाश करने वाली राक्षसी प्रवृत्तियों का विनाश करतीं हैं। दुर्गा जी की सवारी शेर बतार्इ गइ है।

एेसा है मां का स्वरूप

देवी दुर्गा को सिंह पर सवार एक निर्भय आैर सशक्त स्त्री के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। दुर्गा जी की आठ भुजायें हैं। इन सभी में विभिन्न प्रकार शस्त्रास्त्र सज्जित हैं। महिषासुर नामक असुर का वध करने के कारण महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार उनका वर्णन भगवान शिव की पत्नी के रूप में किया गया है। शास्त्रों में वर्णित 51 ज्योतिर्लिंगों को सिद्धपीठ कहते हैं, जहां देवी प्रतिष्ठित होती हैं। इनके कइ रूपों को जिक्र विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में किया गया है, जैसे सावित्री, लक्ष्मी आैर पार्वती। इसके साथ ही उनका सबसे गौरवर्णी रूप महागौरी आैर सबसे रौद्र रूप काली का माना जाता है।

वेदों में भी है दुर्गा का वर्णन

हिन्दुओं के शाक्त साम्प्रदाय में दुर्गा को ही पराशक्ति और सर्वोच्च देव माना गया है। एेसा इसलिए है क्योंकि शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में ही स्वीकार करता है। इसी प्रकार वेदों में भी दुर्गा का उल्लेख किया गया है। उपनिषद में भी देवी स्वरूप उमा हेमवती का नाम है जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। पुराणों में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। विद्वानों के अनुसार दुर्गा भगवान शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, उनको प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। इन्हीं आदि शक्ति देवी ने सावित्री जो ब्रह्मा जी की पहली पत्नी थीं, लक्ष्मी, और पार्वती के रूप में जन्म लिया और  ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों आदि देवों से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी वे आदि शक्ति रूप में एक ही है।


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